Patanjali Misleading Ads: 'कोर्ट से झूठ बोला गया', SC का बाबा रामदेव के माफीनामे को स्वीकार करने से इनकार, 16 अप्रैल को अगली सुनवाई
Supreme Court Reject Baba Ramdev Affidavit: सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हलफनामा हमारे सामने आने से पहले मीडिया में प्रकाशित हो गया. इसे प्रचार के लिए दाखिल किया गया या हमारे लिए?
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Supreme Court on Baba Ramdev: दवाओं के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 अप्रैल, 2024) को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान दोनों ने बिना शर्त माफी मांग ली. हालांकि, अदालत ने बाबा रामदेव की ओर से दिए गए हलफनामे को स्वीकर करने से इनकार कर दिया. सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, "हलफनामा हमारे सामने आने से पहले मीडिया में प्रकाशित हो गया. इसे प्रचार के लिए दाखिल किया गया या हमारे लिए?" इस मामले में आगे के आदेश के लिए सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा. बताया जा रहा है कि वैसे तो कोर्ट ने बुधवार को माफीनामा ठुकराने की बात कही है, लेकिन यह 16 अप्रैल को ही पता चलेगा कि उसे स्वीकार किया गया है या नहीं.
इससे पहले सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा, "हमने 6 अप्रैल को ही हलफनामा दाखिल कर दिया था. रजिस्ट्री ने शायद इसे जजों के सामने नहीं रखा." इसके बाद रोहतगी ने हलफनामे का अंश पढ़कर सुनाया जिसमें बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ओर से माफी मांगी गई है. जज ने दाखिल हलफनामे पर एतराज जताया. इसमें रामदेव ने देश से बाहर जाने के अपने एक कार्यक्रम की जानकारी दी है. जजों ने इसे देखकर कहा कि इस तरह से सारी प्रक्रिया को हल्के में लिया गया है.
मुकुल रोहतगी ने सुनवाई टालने का किया अनुरोध
जस्टिस अमानुल्लाह ने सुनवाई के दौरान कहा, “कोर्ट से झूठ बोला गया. इसके बाद जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हम इस हलफनामे को स्वीकार करने से मना करते हैं. वहीं रोहतगी ने सुनवाई टालने का अनुरोध किया ताकि यह देखा जा सके कि रामदेव और बालकृष्ण को और क्या लिख कर देने की जरूरत है. इस पर जस्टिस कोहली ने कहा कि हम कितनी बार समय दें? मामला सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले उत्तराखंड सरकार ने जब आपको विज्ञापन रोकने को कहा था तो आपने उनसे भी कहा था कि कानूनन आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती. क्या आपको कानून नहीं पता था?
उत्तराखंड के अधिकारियों के कार्रवाई न करने पर 23 को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई. जजों ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2020 में मामला उत्तराखंड सरकार को भेजा था, लेकिन उत्तराखंड के अधिकारियों ने इस मामले में निष्क्रियता दिखाई. अब उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उत्तराखंड की दवा लाइसेंसिंग अथॉरिटी के जॉइंट डायरेक्टर को भी कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट में मौजूद अधिकारी से कोर्ट ने कहा कि आपने अब तक इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं करवाया. यह क्यों न माना जाए कि आपकी इनसे मिलीभगत है. मौजूदा जॉइंट डायरेक्टर 9 महीने से पद पर हैं. कोर्ट ने उनसे पहले पद पर रहे अधिकारी को भी हलफनामा दाखिल करने और अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने को कहा है. साथ ही 2018 से अब तक हरिद्वार के जिला आयुष अधिकारी रहे लोगों को भी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है. इस पहलू पर 23 अप्रैल को सुनवाई होगी.
वकील ने की माफीनामा स्वीकार करने की अपील
रामदेव और बालकृष्ण के वकील ने जजों के सामने दलील देते हुए कहा कि उन्होंने माफी मांगी है. उसे स्वीकार किया जाए. अब जब अधिकारियों से पूछताछ हो रही है. निश्चित रूप से उनकी तरफ से कुछ कार्रवाई होगी. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि माफीनामा लिखी बातों के लिए उन्होंने वकीलों को सलाह दी थी. क्या उसमें कुछ कमी रह गई है? रामदेव और बालकृष्ण के वकील ने भी यही पूछा. इस पर जज ने कहा कि हम आपकी सलाह में कमी नहीं बता रहे, लेकिन पूरे मामले को उसके तथ्यों के आधार पर देख रहे हैं.
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