Baba Ramdev News: पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में मंगलवार (23 अप्रैल) को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव से उनके अखबारों में दिए गए सार्वजनिक माफीनामे को लेकर सवाल किया. अदालत ने पूछा कि क्या आपका माफीनामा उतना ही बड़ा है, जितना आपने भ्रामक विज्ञापन दिया था. रामदेव से ये भी सवाल किया कि आखिर सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई से ठीक पहले ही सार्वजनिक माफीनामे को क्यों जारी किया गया.


पतंजलि आयुर्वेद ने 67 अखबारों में माफीनामे को जारी किया है. इसमें कहा गया कि भ्रामक विज्ञापन देने जैसी गलती भविष्य में दोबारा नहीं की जाएगी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि वह अदालत और संविधान की गरिमा को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई टल गई है. अदालत अब बाबा रामदेव और बालकृष्ण के मामले की सुनवाई 30 अप्रैल को करेगी. बाकी के सभी सात बिंदुओं पर 7 मई को सुनवाई होगी.


क्या विज्ञापन के बराबर है माफीनामा? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि सार्वजनिक माफीनामा छपवाने में 10 लाख रुपये का खर्च आया है. जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पूछा कि एक हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ठीक पहले माफीनामा क्यों जारी किया गया. जस्टिस कोहनी ने पूछा, "क्या माफीनामे का साइज उतना ही बड़ा है, जितना आपका विज्ञापन था?"


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अन्य एफएमसीजी भी भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं और जनता को धोखा दे रहे हैं. जस्टिस कोहली ने कहा, "विज्ञापन खासतौर पर शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, जो उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं." अदालत ने आगे कहा कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जांच करने के लिए मामले में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को शामिल करना जरूरी है.


पतंजलि ने माफीनामे में क्या कहा है? 


बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से ये माफीनामा ऐसे समय पर आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाई थी. इसमें कहा गया, "पतंजलि आयुर्वेद माननीय सु्प्रीम कोर्ट की गरिमा का पूरा सम्मान करता है. हमारे अधिवक्ताओं के जरिए शीर्ष अदालत में बयान देने के बाद भी विज्ञापन प्रकाशित करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की गलती के लिए हम ईमानदारी से माफी मांगते हैं."


माफीनामें में आगे कहा गया, "हम इस बात की प्रतिबद्धता जताते हैं कि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी. हम आपको आश्वस्त करते हैं कि हम संविधान और माननीय सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे."


IMA ने दायर की थी पतंजिल के खिलाफ याचिका


सुप्रीम कोर्ट ने पिछली बार हुई सुनवाई में योग में रामदेव के योगदान को स्वीकार करते हुए कहा कि वह और आचार्य बालकृष्ण जांच के दायरे में रहेंगे. दोनों को अपनी गलती सुधारने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया था. पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने याचिका दायर की थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि कंपनी ने मॉडर्न मेडिसिन और कोविड-19 वैक्सीन के खिलाफ दुष्प्रचार किया. 


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