गिलोय से लिवर खराब होने के दावों का पतंजलि योगपीठ ने किया खंडन
गिलोय कई दवाओं का विकल्प है और इसकी आयुष मंत्रालय की तरफ से कोविड-19 के खिलाफ इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर सिफारिश की है.
गिलोय से लिवर डैमेज होने वाली रिपोर्ट्स को पतंजलि ने खारिज किया है. योग गुरू बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण का कहना है कि आयुर्वेद में गिलोय का परंपरागत प्रयोग कई समस्याओं में होता है और इनमें लिवर रोग भी शामिल है तथा इसकी उपयोगिता आधुनिक विज्ञान के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि जिन 6 मरीजों के लिवर डैमेज हुए वे पहले से ही कई रोगों से ग्रसित और दूसरी एलोपैथिक दवाएं ले रहे थे. ऐसे में इस सीमित शोध कार्य में संतोषजनक संयोजन नहीं हुआ.
आचार्य बालकृष्ण ने आगे कहा कि कि जांचकर्ताओं ने कई महत्वपूर्ण मापदंडों की उपेक्षा की, जैसे- निर्माण में रासायनिक घटकों की पहचान, रोगियों द्वारा ली जाने वाली जड़ी-बूटी की मात्रा, नियोजित योगों और खपत की अवधि में व्यापक भिन्नता. इसके अलावा, रोगियों के ब्लड और लिवर में गिलोय के रसायनिक तत्वों का विश्लेषण नहीं हुआ है. इसलिए इस सीमित शोध के परिणामों को गिलोय के उपयोग से बिल्कुल जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
क्या है गिलोय को लेकर रिपोर्ट्स?
गिलोय को आयुर्वेद में रसायन कहा गया है जो स्वास्थ्य के लिए ना सिर्फ अच्छा होता है बल्कि इसे रामबाण तक माना गया है. लेकिन एक शोध में किए गए दावे ने इसको लेकर आगाह किया है कि इम्युनिटी बढ़ाने वाला गिलोय लिवर को डैमेज कर रहा है. शोध के मुताबिक, 2020 के सितंबर से लेकर दिसंबर के बीच कम से कम छह मरीज ऐसे मिले जिनके लिवर काफी खराब हो चुके थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये मरीज पीलिया (Jaundice) और सुस्ती (lethargy) की शिकायत लेकर इलाज के लिए गए थे. इसके बाद कुछ डॉक्टरों ने यह पाया कि वे सभी गिलोय (टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया) का सेवन कर रहे थे.
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि 62 वर्षीय महिला जिसे पेट में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसकी चार महीने तक इस विकार के बाद मौत हो गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉक्टर आभा नगराला ने बताया कि बायोप्सी का इस्तेमाल कर पहली बार यह पाया कि गिलोय के इस्तेमाल से लिवर में इस तरह का नुकसान पहुंच सकता है. जबकि एक अन्य डॉक्टर डॉक्टर ए.एस. सोइन ने कहा कि उन्होंने भी गिलोय से संबंधित पांच लिवर डैमेज के केस को देखा है. इनमें से एक मरीज ने दम तोड़ दिया.
गौरतलब है कि गिलोय कई दवाओं का विकल्प है और इसकी आयुष मंत्रालय की तरफ से कोविड-19 के खिलाफ इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर सिफारिश की गई है.
कई दवाओं का विकल्प है गिलोय?
आयुर्वेद में माना जाता है कि गिलोय की पत्तियां, जड़ें और तना तीनों ही भाग सेहत के लिए बहुत गुणकारी बताए गए हैं. परंतु बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के तने या डंठल का है. गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण भी होते हैं. इन्हीं गुणों की वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि से आराम दिलाता है.
गिलोय के बारे में जानकारों का मानना है कि बहुत कम औषधियां ही ऐसी होती हैं जो वात, पित्त और कफ तीनो को नियंत्रित करती हैं, गिलोय उनमें से एक है. गिलोय का मुख्य प्रभाव टॉक्सिन (विषैले हानिकारक पदार्थ) पर पड़ता है और यह हानिकारक टॉक्सिन से जुड़े रोगों को ठीक करने में असरदार भूमिका निभाता है.