पठानकोट: मंगलवार को अमेरिकी अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे को पठानकोट एयरबेस पर सैन्य-परंपरा से भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया. इस दौरान अपाचे हेलीकॉप्टर्स ने शानदार फ्लाई पास्ट का भी आयोजन किया और अपनी ताकत से रूबरू कराया. भारतीय‌ वायुसेना ने जिन 22 अपाचे हेलीकॉप्टर्स (एएच-64ई आई) का अमेरिका से साल 2015 में सौदा किया था उसकी पहली खेप में आठ हेलीकॉप्टर पठानकोट एयरबेस पर इस दौरान मौजूद रहे. खुद वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ भी इस दौरान खुद वहां मौजूद थे. माना जा रहा है कि बाकी 14 हेलीकॉप्टर्स भी अगले साल यानि 2020 तक भारत पहुंच जाएंगे.


समारोह के दौरान फ्लाई पास्ट के साथ साथ अपाचे हेलीकॉप्टर को वॉटर-कैनन की सलामी दी गई. सर्व धर्म गुरुओं ने पूजा अर्चना, अरदास और कुरान की आयतों के साथ अपाचे हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना में शामिल करने की परंपरा पूरी की. इस दौरान अपाचे हेलीकॉप्टर तैयार करने वाली अमेरिकी कंपनी, बोइंग के अधिकारी भी मौजूद रहे. भारतीय वायुसेना ने पठानकोट स्थित अपाचे की स्कॉवड्रन को 'ग्लैडिएटर' (Gladiator) नाम दिया है. इस स्कॉवड्रन का मोटो है 'बलिदान वीरस्य भूषणम' यानि बलिदान ही वीरों का आभूषण होता है. बता दें कि साल 2016 में ही पठानकोट एयरबेस पर पाकिस्तान से आए आतंकियों ने बड़ा हमला किया था.


इस दौरान अपाचे हेलीकॉप्टर में लगी मिसाइलें, गन और रडार का भी प्रदर्शन किया. अपाचे हेलीकॉप्टर में हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल और हैलफायर लगी हुई है. कुल आठ हैलफायर मिसाइल एक अपाचे हेलीकॉप्टर में लग सकती हैं. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर एयर टू एयर यानि हवा से हवा में मार करने वाली स्टिंगर मिसाइल से भी अपाचे को लैस किया जा सकता है. इन हेलीकॉप्टर्स में 70 एमएम के 19-19 हाएड्रा रॉकेट के दो पॉड को भी लगाया गया है. खास तौर से लगी 30 एमएम कैनन-गन से एक साथ 1200 राउंड फायर किए जा सकते हैं.


पाकिस्तान की तरफ से प्रोक्सी वॉर यानि पाकिस्तान समर्थित-आतंकवाद झेल रहा भारत इन अटैक हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल एलओसी पर आतंकियों के लांच-पैड और ठिकानों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है. ये हेलीकॉप्टर्स दिन रात और किसी भी मौसम में ऑपरेशन कर सकते हैं. खासतौर से ऊंचे पहाड़ों में बने आतंकी कैंपों और दुश्मन के ठिकानों और छावनियों पर ये हमला करने में ये सक्षम हैं.


दुनिया के सर्वश्रेष्ट और आधुनिक अटैक हेलीकॉप्टर्स में इन अपाचे हेलीकॉप्टर की गिनती की जाती है. अमेरिका ने इराक में खाड़ी के युद्ध के साथ साथ अफगानिस्तान में आतंकियों के कैंप (और गुफाओं) पर हमला करने के लिए इन अपाचे हेलीकॉप्टर्स का इ‌स्तेमाल किया है.


भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल रूस के मी25 और मी35 की एक स्कॉवड्रन है लेकिन ये स्कॉवड्रन अब पुरानी हो चुकी है इसीलिए भारत ने ये अपाचे हेलीकॉप्टर खरीदे. वायुसेना के पास एक‌ स्कॉवड्रन स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर, रूद्र की भी है, जिसे एचएएल ने तैयार किया है. इन अपाचे हेलीकॉप्टर्स की दूसरी स्कॉवड्रन चीन सीमा के करीब असम के जोरहाट में होगी. थलसेना को भी जल्द अमेरिका से छह अपाचे हेलीकॉप्टर मिलेंगे.