Assam Sanskrit Speaking Village: संस्कृत प्राचीन भाषाओं में से एक है. हाल ही में पीएम मोदी के एक ट्वीट के बाद भी संस्कृत (Sanskrit) देशभर में चर्चा में रही थी. पीएम ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर की थी जिसमें एक क्रिकेट मैच की कमेंट्री संस्कृत में की जा रही थी. पीएम मोदी ने संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री करने पर खुशी भी जाहिर की थी. अब असम (Assam) के एक गांव के बारे में पता चला है जिसे 'संस्कृत गांव' के नाम से जाना जाता है. इस गांव के सभी लोग 2015 से इस प्राचीन और शास्त्रीय भाषा को बोलते आ रहे हैं.
इस गांव का नाम पटियाला है और ये करीमगंज जिले के राताबारी विधानसभा क्षेत्र में आता है. यहां बच्चों से लेकर बड़े तक हर एक व्यक्ति संस्कृत में एक दूसरे से बात करता है. गांव में लगभग 60 परिवार रहते हैं, जिनमें लगभग 300 लोग हैं. ये सभी 'संस्कृत के खुशमिजाज भाषी' हैं और संस्कृत भाषा पर बेहद गर्व करते हैं.
बदलाव लाने की कर रहे कोशिश
ग्रामीण आने वाली पीढ़ियों को इस भाषा को बोलने के लिए प्रोत्साहित कर बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. उनका मानना है कि संस्कृत वह भाषा है जो लोगों द्वारा पर्याप्त नहीं बोली जाती है. ग्रामीण नियमित 'योग शिविर' भी आयोजित करते हैं. इस गांव के निवासी दीप नाथ, जो एक योग शिक्षक भी हैं, ने कहा कि उन्होंने 2013 में योग शिविर की शुरुआत की थी और उसके बाद 2015 में संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं ने गांव का दौरा किया.
2015 से संस्कृत में बोलना शुरू किया
दीप नाथ ने कहा कि, "2015 से हमने संस्कृत बोलना सीखा और अब यहां हर व्यक्ति यह भाषा बोलता है. हमारे गांव में 60 परिवार हैं, जो अपने बच्चों के साथ इस प्राचीन भाषा का उपयोग करते हैं. योग शिक्षक दीप नाथ ने कहा कि वे अपनी संस्कृति को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि योग शिविरों का आयोजन नियमित रूप से सुबह 5 बजे से सुबह 7 बजे तक किया जाता है और यहां हर निर्देश संस्कृत में दिया जाता है.
गांव के ज्यादातर लोग हैं किसान
उन्होंने कहा कि हम हर महीने गायत्री यज्ञ का भी आयोजन करते हैं जिसमें गांव का हर निवासी भाग लेता है. नाथ ने ये भी कहा कि यहां के ज्यादातर ग्रामीण खेती से जुड़े हैं और 15 लोग नौकरी कर रहे हैं. दीप नाथ ने बताया कि इस इलाके में अनीपुरबस्ती नाम का एक और गांव है, जहां के लोगों ने संस्कृत (Sanskrit) भाषा को अपनाया है.
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