Patient Centric Healthcare Practice: देश में स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई दिशा प्रदान करने वाली किताब 'पेशेंट सेंट्रिक हेल्थ केयर प्रैक्टिसेस' आज राजधानी दिल्ली में लॉन्च हुई. इस किताब को देश भर में 19 विख्यात स्वास्थ्य सेवा से जुड़े व्यक्तियों ने लिखा है. इस किताब के सह लेखक डॉ. संजय राजपाल हैं. कोरोना काल में मरीज अस्पतालों में बेड ढूढ़ने से लेकर दवाइयों के लिए इधर-उधर भटके, उसने देश कि स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सारे सवाल खड़े कर दिए. इस तरह कि परिस्थितियों से किस तरह से निपटा जाए उसे बताती है 'पेशेंट सेंट्रिक हेल्थ केयर प्रैक्टिसेस' किताब.
इस किताब में ये बताया गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बिंदु मरीज होते हैं. डॉक्टर और सभी स्वास्थ्यकर्मियों को मरीजों के साथ विचार विमर्श करना चाहिए ताकि मरीजों कि समस्याओं को समझा जा सके और उस पर काम किया जा सके. इस बुक को लिखने का मकसद ये है कि डॉक्टर्स और मरीज समस्या को अपने-अपने अलग एंगल से देखते हैं. उसके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक भी उस के साथ विचार विमर्श करके प्रयोग में लानी चाहिए.
ये किताब डॉ. संजय राजपाल के जरिए लिखी गई है जो पिछले दो दशकों से स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े हुए हैं. डायबिटीज के क्षेत्र में आने वाले युवाओं के लिए संजय मार्गदर्शक हैं. दिल्ली में किताब की लॉन्च में मुख्य अथिति के रूप में डायरेक्टर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर डॉ. हर्षद ठाकुर शामिल हुए. डॉ. हर्षद ठाकुर ने इस किताब की सराहना करते हुए किताब के सह लेखक डॉ. राजपाल की देश की स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई रूप रेखा की और दिशा देखने के लिए उनको शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा के मेडिकल फील्ड में आने वाले युवाओं के लिए डॉ. संजय प्रेरणा का श्रोत हैं.
'मरीज हमेशा सही है'
अपनी किताब के बारे में डॉ. संजय राजपाल ने कहा कि इस किताब का उद्देश्य है कि सभी स्वास्थ्य सेवाएं मरीजों को केंद्र बिंदु में रखकर होनी चाहिए. मेडिकल प्रोफेशन एक बिजनेस नहीं बल्कि जन सेवा है. ऐसा भी देखा जाता है कि डॉक्टर मरीजों की बात कुछ ही समय के लिए सुनते हैं या उनकी बातों पर उतना ध्यान नहीं देते लेकिन डॉ. संजय राजपाल अपनी किताब में ये संदेश देते हैं कि 'मरीज हमेशा सही है'.
आज के इस बुक लॉन्च कार्यक्रम में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कई मुख्य लोग शामिल हुए. जिनमें पैनल में डॉ. हर्षद ठाकुर, डॉ. संजय राजपाल के साथ डॉ. सुमीत अरोरा, डॉ. विजयाश्री परामेस्वरण, मिस्टर फ्लोरियान मुलर शामिल रहे. ये किताब डॉक्टर्स के साथ-साथ मेडिकल स्टूडेंट्स, नर्सस और सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए प्रेरणा की श्रोत है. इस किताब को पढ़कर किस तरह से डॉक्टर पेशेंट को एप्रोच कर सकतें हैं ये बताया गया है. आज के इस दौर में ये किताब काफी महत्व रखती है क्योंकि कोरोना की जंग अभी भी देश लड़ रहा है और मरीजों की समस्या को समझ के ही उनका निपटारा किया जा सकता है. इसलिए आज के संदर्भ में ये किताब किसी वरदान से कम नहीं है.
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