NEET PG Counselling: दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर्स नीट पीजी की मांग को लेकर प्रदर्शन और हड़ताल पर हैं. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीज परेशान हैं और इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि काउंसिलिंग ना होने के कारण डॉक्टरों की परेशानी कम नहीं हो पा रही है, जिससे उन पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है. डॉक्टरों ने ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी हैं.


दिल्ली के आरएमएल और सफदरजंग अस्पतालों में मरीज मायूस बैठे नजर आए. उनके परिजन डॉक्टरों के आगे इलाज के लिए गुहार लगाते दिखे. कई बुजुर्ग मरीज भी अस्पताल में इलाज के लिए तरसते नजर आए. डॉक्टर्स की मांग एक जगह है लेकिन दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक इलाज कराने आई एक महिला रोती नजर आई. उसने कहा, 'मैं पिछले तीन-चार साल से परेशान हूं. मेरा पंजा कट गया था,  जिससे इन्फेक्शन फैल गया. रोते हुए महिला ने कहा कि इसके बाद छाले हो गए तो उसी का इलाज कराने आई हूं. मेरे पति अंदर गए हैं. महिला ने यह भी कहा कि डॉक्टरों की हड़ताल थी, इस बारे में उसे पता नहीं था.' 


 वहीं हड़ताल को बढ़ता देख सरकार की तरफ से डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज सुनील कुमार रेजिडेंट डॉक्टरों को समझाने के लिए पहुंचे. जिनका डॉक्टरों ने पुरजोर विरोध किया. लगातार 27 नवंबर से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे रेजिडेंट डॉक्टरों ने मांगें पूरी ना होने के चलते आज से ओपीडी के साथ-साथ इमरजेंसी सेवा भी बंद कर दी.


बता दें कि राजधानी दिल्ली के अस्पताल RML और लेडी हॉर्डिंग में भी रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सभी तरह की ओपीडी सुविधाओं को बंद कर दिया है. इसके बाद अस्पतालों में आने वाले लाखों मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं 2 दिन पहले भी सफदरजंग में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की थी, लेकिन उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं. इसके बाद बड़ा कदम उठाते हुए आज रेजिडेंट डॉक्टर्स ने ओपीडी और इमरजेंसी सेवा को बंद कर दिया है.


हड़ताल के चलते सफदरजंग अस्पताल में भी आज सभी सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं. अस्पतालों में सेवाओं को बंद किए जाने के बाद इस हड़ताल खत्म करवाने के लिए DG डॉक्टर सुनील कुमार रेजिडेंट डॉक्टरों को समझाने के लिए पहुंचे,  लेकिन सभी ने उनसे लिखित में आश्वासन की मांग की. सभी रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि पहले भी मौखिक आश्वासन मिलते रहे हैं लेकिन हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है. इसलिए जबतक हमें कोई ठोस या लिखित में पत्र नहीं मिलता तब तक हम पीछे नहीं हटने वाले हैं और हड़ताल को जारी रखेंगे.


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