कोलकाताः कोलकाता में बारिश के बीच एक मरीज को एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से बिना एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर दूसरे अस्पताल ले जाते देखा गया. मरीजे के चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क, हाथों पर सलाइन लगा था. बारिश में भीगने से बचने के लिए मरीज को किसी सुरक्षात्मक छाया या छतरी से ढका भी नहीं गया था, उसे छात्र स्वास्थ्य गृह ले जाया जा रहा था, जो अस्पताल से 10 मिनट की दूरी पर था.


शनिवार दोपहर करीब 12 बजे कुछ स्वास्थ्यकर्मी एक मरीज को एनआरएस अस्पताल परिसर से बाहर निकालते दिखे. गेट नंबर एक से अस्पताल से निकलने के बाद सड़क के किनारे चल रहे ट्राम की पटरियों के सहारे मरीज के बिस्तर के पहियों को चलाया जा रहा था. नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को मरीज के प्रति ऐसी घोर लापरवाही और अनियमितता देखने को मिली.


किडनी की बीमारी के अस्पताल में भर्ती हुआ था मरीज
अस्पताल में भर्ती मरीज बारिश में भीग रहा है, फिर भी किसी को होश नहीं है. उनमें से एक के सिर पर छाता होने के बावजूद भी बड़ी लापरवाही से मरीज को सड़क में बिना किसी सुरक्षा के ले जाया गया. पता चला है कि बेलघरिया निवासी एक व्यक्ति किडनी की बीमारी के चलते एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती था. सीने में दर्द महसूस होने पर उन्हें शनिवार को चेकअप के लिए पास के एक छात्र स्वास्थ्य गृह ले जाया गया. अस्पताल की भूमिका सवालों के घेरे में है क्योंकि अस्पताल में भर्ती एक मरीज को एंबुलेंस में नहीं ले जाया गया, बल्कि खुले में बारिश में भीगे स्वास्थ्य गृह ले जाया गया.


मामले की हो रही है जांच
एनआरएस मेडिकल कॉलेज की अधीक्षक इंदिरा डे ने कहा कि अस्पताल हमेशा मरीजों को एंबुलेंस में शिफ्ट करता है और मामले की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा "अगर मरीजों को ले जाना पड़ता है तो हम उन्हें एम्बुलेंस में ले जाते हैं. हम जांच कर रहे हैं कि ऐसा क्यों हुआ. भले ही अस्पताल 10 मिनट की दूरी पर हो, यह मरीजों को ले जाने का तरीका नहीं है. हम एम्बुलेंस का उपयोग करते हैं. मुझे लगता है कि वहां किसी तरह की गलतफहमी थी और हम इसके पीछे के कारणों की जांच कर रहे हैं." 


वापस लाने के लिए भेजी एंबुलेंस
इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने तुरंत पहल की. एंबुलेंस को स्वास्थ्य गृह पहुंचाया गया. जो मरीज बारिश में भीग कर अस्पताल से ले जाया गया, इस बार मरीज को एंबुलेंस से लाया गया. अस्पताल प्रशासन ने माना कि ऐसी घटना हुई है, उन्होंने बताया कि मरीज पक्ष ने जल्दबाजी में ऐसा किया. प्रशासन के अनुसार, वार्ड की नर्सों से रिपोर्ट मांगी गई है, बाद में रिपोर्ट स्वास्थ्य भवन में जमा की जाएगी.  


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