Strike of Doctors: राजधानी दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल का आज 9वां दिन है. इस दौरान डॉक्टर इमरजेंसी और ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार करने की घोषणा कर चुके हैं. नीट पीजी काउंसलिंग 2021 में हो रही देरी के कारण डॉक्टरों की हड़ताल जारी है. केंद्रीय स्वास्थ मंत्री डॉ मनसुख मांडविया से डॉक्टरों की कई राउंड की बैठक हो चुकी है लेकिन कोई समाधान अब तक नही निकल पाया है. डॉक्टरों का प्रदर्शन अब सिर्फ अस्पतालों के परिसर तक सीमित नहीं बचा है बल्कि निर्माण भवन और सेंट्रल दिल्ली के दूसरे इलाकों में भी डॉक्टर हाथों में पोस्टर लेकर जल्द से जल्द पीजी काउंसलिंग कराने की मांग कर रहे हैं.


हाल ही में डॉक्टरों ने उन्हें कोरोनावायरस की पहली और दूसरी लहर के दौरान सम्मान के तौर पर दिए गए फूल, ताली थाली को वापस सरकार को समर्पित करते हुए 'फूल वापसी', 'दिया वापसी ' आंदोलन भी किया. लेकिन अब तक तमाम कोशिश बेअसर साबित हुई हैं. ऐसे में जब कोरोनावायरस के आंकड़े छह महीने बाद रिकॉर्ड दर से बढ़ रहे हैं, ओमिक्रोन का संकट भी कायम है, डॉक्टरों की हड़ताल स्वास्थ व्यवस्था को चिंता में डाल सकती है. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सुबह से ही परेशान मरीज देखे जा सकते हैं जो इलाज कराने के लिए आए हैं लेकिन उन्हें अटेंड करने वाला कोई नहीं है. 


हापुड़ से इलाज के लिए आया परिवार निराश 


हापुड़ से अपनी बेटी का इलाज कराने दिल्ली आए मां बाप बेहद परेशान हैं. बीती रात 12 बजे इमरजेंसी में बेटी को लाए थे , सुबह टेस्ट करवाने के लिए बोला गया लेकिन सुबह हड़ताल के कारण कोई अटेंड करने वाला ही नही है. मां रेशमा कहती हैं कि "हम रात 12 बजे यहां आए. रात को देखा और कुछ इंजेक्शन दिए और कहा गया कि सुबह ओपीडी में दिखाना . लेकिन ओपीडी बंद है. अब कह रहे हैं सोमवार को आना. अब सोमवार तक चाहें बच्ची का दम निकल जाए, तो क्या होगा! इसे रात से ही आराम नही है, टेस्ट कराने की जरूरत है लेकिन OPD ही बंद है. "पिता मोहबिन का कहना है कि कोई टेस्ट नही हो रहा, कोई सुनवाई इमरजेंसी में भी नही हो रही. मना कर रहे हैं इमरजेंसी में भी एडमिट नहीं कर सकते. लोनी में रिश्तेदार रहते हैं वहां जाएंगे. हम मजबूर लोग हैं इसलिए सरकारी अपस्तल में आए हैं. प्राइवेट अस्पताल में दिखाने के पैसे नही हैं , किराए पर रहते हैं. दो तीन घंटे से इंतजार कर रहे हैं. उसे पूरी रात दर्द रहा है.


 दीपकुमार ओझा का पथरी का ऑपरेशन 10 दिन पहले हुआ था और ठीक 10 दिन बाद टांके कटवाने के लिए अस्पताल आने के लिए बोला गया था लेकिन, अब टांके कटवाने आए हैं , लेकिन कोई डॉक्टर नहीं. ओझा कहते हैं कि "आज बुलाया गया था टांके कटवाने के लिए लेकिन यहां कहा जा रहा है कि जब हड़ताल खत्म होगी तब ही टांके काटेंगे. हड़ताल है ये तो हमारा शरीर समझेगा नही. यहां कोई अटेंड करने वाला नही है. हमारा ऑपरेशन यहां हुआ है तो जिम्मेदारी समझ कर टांके भी तो काटने चाहिए थे. निर्धारित वक्त से टांके नही काटे गए तो सड़न भी हो सकती है.रोज रोज कैसे आ सकता है, आज काम से छुट्टी लेकर आया हूं.


बड़ी बहन का इलाज कराने आई छोटी बहन 


कुलक्षा अपनी बहन का फंगल इन्फेक्शन का इलाज कराने आई हैं. जिसका रात भर दर्द और मुंह से खून निकलने लगा है, डॉक्टरों का कहना है कि बीमारी बेहद गंभीर है लेकिन फिर भी हड़ताल के कारण इलाज नहीं मिला. कुलक्षा एबीपी न्यूज को बताती हैं कि बहन को फंगल इन्फेक्शन है. डॉक्टर ने बोला है बीमारी बड़ी है इसलिए इलाज लंबा चलेगा लेकिन कोई अटेंड करने वाला नहीं है. ये पूरी रात सो नहीं पाती है, बलगम में खून भी आता है. दवाई लिख देते हैं लेकिन दवाई से कोई राहत नहीं है. इलाज की सख़्त ज़रूरत है. इनकी परेशानी बढ़ती जा रही है. कोई सीनियर डॉक्टर भी नहीं है.


सुलताना बेगम अपने नाती को दिखाने एलएनजेपी अस्पताल आई हैं. उन्हें आज डॉक्टर से मिलने की डेट भी मिली थी लेकिन कहीं कोई डॉक्टर ही नहीं बैठा है. पटेल नगर से 200 रुपए ऑटो लेकर आई सुलताना बताती हैं कि कल MIR करवाया था लेकिन आज कोई देखने वाला ही नही हैं. मां सीमा के अनुसार 7 साल के बेटे ताहा को रात को दौरे पड़ते हैं, इतनी रात को कहां लेकर दौड़ेंगे ,यही सोच कर आज आए हैं. बताया गया है कि हड़ताल के कारण डॉक्टर नहीं बैठे.