Lok Sabha Election 2024: बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार (23 जून) को विपक्षी दलों का महाजुटान हुआ, जिसमें 2024 में पीएम मोदी को सत्ता से हटाने की रणनीति पर मंथन हुआ. नीतीश कुमार के बुलावे पर हुई इस बैठक का एकमात्र एजेंडा, अलग-अलग दलों को सभी मतभेद भुलाकर 2024 के लिए एक साथ लाना था. ये मिशन कितना कामयाब हुआ, इसका पता तो भविष्य में लगेगा लेकिन इसके पहले भी विपक्ष कई बार पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो चुका है. आइए देखते हैं तब क्या हुआ था.


2017 यूपी विधानसभा चुनाव


2014 के लोकसभा चुनाव की मोदी लहर में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में एकतरफा जीत हासिल की थी. इसके बाद 2017 में प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए. उस समय राज्य में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. मोदी लहर के असर को विधानसभा चुनाव में रोकने के लिए अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और साथ चुनाव लड़ा लेकिन नाकामी हाथ लगी. राज्य में न सिर्फ बीजेपी जीती बल्कि 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 300 से ज्यादा सीटें अकेले कब्जाने में सफल रही. बीजेपी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 324 सीटें जीतीं.


यूपी- 2019 लोकसभा चुनाव


2017 में बीजेपी की प्रचंड जीत ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा अंडरकरंट पैदा किया, जिसका असर दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में दिखा. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव में एक साथ चुनाव में उतरीं. 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद दोनों दल पहली बार एक साथ थे लेकिन फिर भी बीजेपी को रोकने में नाकाम रहे. राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 62 बीजेपी ने जीतीं. समाजवादी पार्टी और बीएसपी को कुल 15 सीटें मिलीं, जिसमें समाजवादी पार्टी के खाते में 5 सीट ही आई और 10 सीटें बीएसपी को हासिल हुईं.


2015 बिहार विधानसभा चुनाव


2014 में केंद्र की सत्ता में पर काबिज होने के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी का विजय रथ एक राज्य से दूसरे राज्य में बढ़ता जा रहा था. इस दौरान 2015 में विधानसभा चुनाव आए, जहां बीजेपी को रोकने के लिए अनोखा प्रयोग हुआ. राज्य में एक दूसरे के धुर विरोधी नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव एक साथ आ गए. जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें बीजेपी की हार हुई थी. राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी थी.


कर्नाटक- 2019 लोकसभा चुनाव


2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की तरह ही कर्नाटक में एक प्रयोग हुआ था, जहां कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा. इसके एक साल पहले दोनों दल विधानसभा चुनाव के बाद गठबंधन कर सरकार बना चुके थे. 2019 में दोनों दलों ने चुनाव के पहले ही गठबंधन करने का फैसला किया लेकिन नतीजे अनुकूल नहीं रहे. राज्य की 28 में से 25 सीटें बीजेपी जीत गई जबकि कांग्रेस और जेडीएस को सिर्फ एक-एक सीट मिली.


2022 यूपी विधानसभा चुनाव


2017 और 2019 में झटके के बाद 2022 में एक बार फिर यूपी में बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन हुआ. इस बार विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जयंत चौधरी की आरएलडी, ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अन्य के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. गठबंधन तो नया रहा लेकिन नतीजा पिछली बार से अलग नहीं रहा. बीजेपी ने एक बार फिर से जीतकर सरकार बनाई.


2019 झारखंड विधानसभा चुनाव


बिहार की सफलता से उत्साहित होकर पड़ोसी राज्य झारखंड में भी 2019 में महागठबंधन प्रयोग हुआ. विधानसभा चुनाव में शिबू सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा. बिहार की तरह ही झारखंड में भी महागठबंधन फैक्टर सफल रहा और बीजेपी की हार हुई. 


पटना में एकजुट विपक्ष की ताकत


अब जरा बीजेपी के सामने एक नजर पटना में एकजुट विपक्ष की ताकत जान लेते हैं. अभी बीजेपी के पास लोकसभा में 301 और राज्यसभा में 93 सांसद हैं. इसके साथ ही 16 राज्यों में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की सरकार है.


पटना बैठक में जुटी विपक्षी पार्टियों के पास कुल मिलाकर लोकसभा में 140 सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में 93 सदस्य हैं. इसके साथ ही 11 राज्यों में यहां जुटे दलों की सरकारें हैं. एक बात ध्यान रखने वाली है कि इस बैठक में ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सत्ता पर काबिज पार्टियां शामिल नहीं हुई थीं.


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