Patra Chawl Case: 'संजय राउत ने बेहिसाब धन का लेनदेन किया, लेकिन...', ED की जांच पर कोर्ट की अहम टिप्पणी
शिवसेना सांसद संजय राउत को जमानत देते हुए ईडी के विशेष न्यायाधीश ने कहा कि बेहिसाब धन के बारे में जानकारी नहीं होने पर उसको अपराध से अर्जित धन नहीं कहा जा सकता है.
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Patra Chawl Case: मुंबई की एक विशेष अदालत ने कहा है कि शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने रायगढ़ जिले में अलीबाग के पास किहिम में भूखंड खरीदने के लिए कुछ ‘बेहिसाब धन’ का लेन देन किया, लेकिन इसे धन शोधन रोकथाम कानून (PMLA) के प्रावधानों के तहत आपराधिक तरीके से अर्जित धन नहीं कहा जा सकता है.
विशेष पीएमएलए अदालत के न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना से संबंधित धनशोधन के एक मामले में राउत को जमानत देते हुए बुधवार को यह टिप्पणी की. राउत को इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल एक अगस्त को गिरफ्तार किया था.
बुधवार को मिली थी जमानत
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोग राउत जमानत मिलने के बाद बुधवार को मुंबई की आर्थर रोड जेल से बाहर आए. Dदालत ने अपने आदेश में कहा कि बेहिसाब संपत्ति रखने और उसका लेनदेन करने दोनों के विभिन्न दंडनीय कानूनों के तहत अलग-अलग परिणाम हो सकते हैं, लेकिन इसे पीएमएलए के प्रावधानों के तहत अपराध से अर्जित धन नहीं कहा जा सकता.
अदालत ने क्या टिप्पणी की थी?
अदालत ने कहा कि संजय राउत को सह-आरोपी प्रवीण राउत से कुछ रकम मिली जैसा कि अभियोजन पक्ष की शिकायत (आरोप पत्र) में आरोप लगाया गया है, हालांकि इससे आपराधिक तरीके से धन अर्जित करने की बात साबित नहीं होती.
उसने कहा कि बेहिसाब धन के बारे में यदि विवरण नहीं हो और अनुसूचित अपराध से संबंधित कोई गतिविधि नहीं हो तो उसे इस तरह पेश नहीं किया जा सकता जैसा इस मामले में ईडी ने किया.
अदालत में क्या थी ईडी की दलील?
जांच एजेंसी ईडी ने दलील दी थी कि संजय राउत और उनके परिवार ने उस अवैध धन से विदेश यात्राएं की जिसका बंदोबस्त सह-आरोपी प्रवीण राउत ने किया. अदालत ने कहा कि कुछ तथ्य भी रिकॉर्ड में हैं. इन दोनों करीबी परिवारों ने प्रासंगिक समय पर यात्रा की थी. केवल प्रवीण राउत याद नहीं होने की वजह से यात्रा टिकट से संबंधित पैसे का हिसाब नहीं दे सके, क्या इसे सीधे पीओसी (अपराध से अर्जित धन) से या किसी अनुसूचित अपराध से संबंधित आपराधिक गतिविधि से जोड़ा जा सकता है?
जांच एजेंसी ने दावा किया कि संजय राउत एक गाड़ी का इस्तेमाल करते थे जिसे काले धन से खरीदा गया था और यह उनके दोस्त रामजी वीरा के नाम पर है. हालांकि, अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस तरह का निष्कर्ष निकालने का कोई आधार नहीं है.
ईडी की दलीलों पर क्या बोली कोर्ट?
अदालत ने कहा कि उनके करीबी पारिवारिक रिश्तों को देखें तो अगर वह रामजी वीरा के नाम पर कोई गाड़ी खरीदते हैं और उसे संजय राउत के लिए दस्तावेजों के साथ इस्तेमाल की अनुमति देते हैं तो क्या सीधे-सीधे कहा जा सकता है कि यह किसी अपराध से अर्जित धन है.
ईडी का मामला स्वप्ना पाटकर और चंदन केलेकर जैसे गवाहों के बयान पर आधारित है. बचाव पक्ष की दलील पर जवाब देते हुए जांच एजेंसी ने दावा किया कि जमानत के स्तर पर गवाहों की विश्वसनीयता को नहीं देखा जा सकता.
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