Patra Chawl Scam: मुंबई के चर्चित गोरेगांव पात्रा चाल केस मामले में जमकर राजनीति हुई. मामला यहां तक बढ़ा कि इस मामले में शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत को जेल तक जाना पड़ा लेकिन पात्रा चाल के मालिकों के सिर पर अब तक छत नहीं आई है.
इसी के चलते बुधवार (21 दिसंबर) को मुंबई में म्हाडा दफ्तर (महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) के दफ्तर के बाहर 672 परिवार के लोगों ने आंदोलन किया. पात्रा चाल के लोगों ने मांग की है कि साल 2018 की एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक उनको या तो घर का रेंट मिले या जल्द से जल्द घर बनाकर दिया जाए.
क्या बोले पात्रा चॉल के पीड़ित?
पात्रा चॉल के घर मालिकों का कहना है कि उनको घर बनाते समय घर की क्वालिटी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. गौरतलब है कि मुंबई के गोरेगांव में पात्रा चाल हुआ करती थी. इन घरों को पुनर्विकास का काम एक एग्रीमेंट के तहत निजी बिल्डरों को मिला था लेकिन बिल्डरों ने पुनर्विकास का काम नहीं किया और करोड़ों का घोटाला किया.
इसी घोटाले से संबंधित एक मामले में संजय राउत को जेल जाना पड़ा. साल 2018 में सरकार ने प्राइवेट बिल्डर के पुनर्विकास को खारिज कर म्हाडा से करार हुआ. यह तय हुआ की सरकार की संस्था म्हाडा ( महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) घर पुनर्विकास का काम करेगी और जब तक घर नहीं दिया जाता तब तक घर मालिकों को 25000 रुपए प्रति महीने रेंट दिया जाएगा.
घर मालिकों का आरोप है की उनको एग्रीमेंट के मुताबिक रेंट नहीं मिल रहा और वो पिछले 14 सालों से अपने खुद के घर से वंचित है.
जोगेश्वरी में SRA घोटाला सुर्खियों में
गोरेगांव के पात्रा चॉल घोटाले के बाद गोरेगांव के नजदीक जोगेश्वरी इलाके का एक और एसआरए प्रोजेक्ट (स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी) जांच के दायरे में आ गया है. जोगेश्वरी पश्चिम ओशिवरा स्थित गुलशन नगर में सहयोग होम्स नामक विकासक ने झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के तहत स्थानीय निवासियों के लिए एक बहुमंजिला इमारत बनाई थी.
घर के मालिक पुनर्विकसित घरों में रहने भी लगे लेकिन अग्निशमन विभाग ने अपनी जांच में नियमों का उल्लंघन पाया. जिस पर उसने कॉलोनी में बिजली पानी काटने का नोटिस जारी कर दिया. जिससे वहां रहने वाले लोगों में खलबली मच गई.
क्या है झोपड़पट्टी विवाद?
यहां पर फायर ब्रिगेड का मामला अभी सुलझा नहीं था कि म्हाडा के लैंड मैनेजर ने अविश्वसनीय सबूत पेश करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई करने के लिए उपजिलाधिकारी को पत्र लिखकर झोपड़पट्टी धारकों के सबूत तौर पर दिए गए कागजातों को तत्काल देने की मांग की ताकि इस मामले की दोबारा छानबीन की जा सके.
झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के तहत बिल्डर द्वारा बनाई गई इमारत में कथित भ्रष्टाचार को लेकर म्हाडा लैंड मैनेजर ने उपजिलाधिकारी को पत्र लिखा, जिससे सहयोग होम्स की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं.
सीएम से की जांच की मांग
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराने की मांग की गई है. अब घर मालिकों को डर सता रहा की कही गोरेगांव के पत्रा चॉल के बाद उनका प्रोजेक्ट भी भ्रष्टाचार की भेंट ना चढ़ जाए. झोपड़पट्टी पुनर्वसन करने वाले सहयोग होम्स की ओर से पक्ष सामने नहीं आया है.