Patra Chawl Scam: रिडेवलपमेंट के नाम पर अपना घर देकर बेघर हुए सैकड़ों लोग, पीड़ितों ने सुनाई अपनी दर्द भरी दास्तान
Patra Chawl Scam News: घोटाले के आरोपियों पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसा तब से पतरा चॉल में रहने वाले उन करीब 670 रहिवासियों की मुश्किले बढ़ गयी जिन्हे यहां घर मिलने की उम्मीद थी.
Patra Chawl Land Scam: मुंबई (Mumbai) के गोरगांव स्थित पतरा चॉल घोटाले (Patra Chawl Scam) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की कार्रवाई लगातार जारी है. घोटाला करने वाले बिल्डर जेल पहुंच चुके हैं. बिल्डरों से संबध रखने वाले संजय राउत (Sanjay Raut) जैसे दिग्गज लोगों पर ईडी का शिकंजा कस चुका है लेकिन जो लोग रिडेवलपमेंट के लिये अपना घर देकर बेघर हो चुके हैं सालों से वो बेघर हैं. उन लोगों की सुध लेने वाल कोई नहीं है. इस बीच एबीपी न्यूज पतरा चॉल के उन पीड़ित परिवारों के पास पहुंचा. पीड़ित परिवारों ने इस घोटाले में जो कुछ खोया उसे लेकर अपना दर्द हमारे साथ साझा किया.
पतरा चॉल से बेघर होने वालों की लिस्ट बहुत बढ़ी है. इन्हीं में से एक है पार्वती शंकर कटकर. पार्वती अपने बेटों के साथ सालों से पतरा चॉल में रह रही थी. साल 2007 में जब उनके चॉल के रिडेवलपमेंट का प्लान बना तो वो खुश ती की उनके बच्चों को नया घर मिलेगा लेकिन सालो बीत गये आज तक उनको घर नही मिला उनका परिवार उनके बच्चें किराये के घरों में रहने को मजबूर हैं.
किराये घर में रहने को मजबूर
पतरा चॉल से बेघर सैकड़ो परिवार हैं जो आज किराए के घरों में रहने को मजबूर हैं. उनमें से कुछ जिंदा हैं और कुछ की मौत हो चुकी है. कभी पतरा चॉल में रहने वाली शांताबाई सोनावणे का पतरा चॉल की रोड नंबर 10 में इनका मकान था. रिडेवलेपमेंट के बदले नये घर का इनका सपना सालों से सपना ही हैं. जब भी उनके घर की बात होती है वो रोने लगती हैं.
सब्जी बेचकर अपने परिवार का पेट पालने वाली शांताबाई बताती हैं कि किन तकलीफों के साथ उन्होंने पतरा चॉल में अपना घर बनाया था. जिसे नया घर देने के नाम पर तोड़ दिया गया और वो सालों से बेघर हैं. उनके बच्चें दरबदर हैं. किराये के घरों में रहने को मजबूर, बिल्डर ने दो-तीन साल तक किराया दिया लेकिन सालों से उन्हें बिल्डर की तरफ से किराया नही मिल रहा. बेघर होने के बाद किरायें के घरों में रहना उनके परिवार के लिये बेहद भारी पड़ रहा है.
घर मिलने की उम्मीद है कायम
पतरा चॉल के पास ही एक छोटी सी किराये की दुकान डालकर गुजरबसर करने वाले ये है प्रकाश सावंत. 60 सालों से ये पतरा चॉल में रहते थे सालो पहले इन्हें भी नये घर मिलने की उम्मीद थी लेकिन पतरा चॉल घोटाले ने इनके भी सपनो को चकनाचूर कर दिया किसी तरह से गुजरबसर कर रहे हैं और उम्मीद अभी कायम है कि घर मिलेगा .
पीड़ितों ने म्हाडा को ठहराया जिम्मेदार
पतरा चॉल का प्रोजेक्ट जबसे घोटाले का शिकार हुआ और इसके आरोपियों पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसा तबसे पतरा चॉल में रहने वाले उन करीब 670 रहिवासियों की मुश्किले बढ़ गयी जिन्हे यहां घर मिलने की उम्मीद थी. पतरा चॉल के लोगों के मुताबिक उनके सालों से बेघर रहने का जिम्मेदार म्हाडा और उसके भ्रष्ट अधिकारी हैं. 47 एकड़ पतरा चॉल की जमीन में से करीब 13 एकड़ जमीन को म्हाडा ने रहिवासियों के लिए आवंटित की थी.
जिसपर करीब 670 परिवारों को घर मिलने थे लेकिन म्हाडा और मौजूदा सोसाइटी के पदाधिकारियों ने उसमें घपला किया और सिर्फ साढ़े चार एकड़ जमीन पर रहिवासियों के लिए घर बनाने की शुरूआत की गयी. जो साल 2008 से आज तक अधूरे पड़े हैं. जबकि बाकी जो जमीन बिल्डरों को म्हाडा ने आवंटित की थी आज वहां बड़े-बड़े टॉवर खड़े हो गये हैं.
संजय राउत पर कसा शिकंजा
आपको बता दें कि पतरा चॉल का मामला जब जांच एजेंसियों के दायरे आया और संजय राउत पर इसकी तलवार लटकी तो फरवरी महीने में एनसीप प्रमुख शरद पवार ने पतरा चॉल के पास एक कार्यक्रम का आयोंजन किया और पीड़ितों से मुलाकात भी की. इसके बाद बंद पड़े प्रोजेक्ट पर म्हाडा ने कुछ काम की शुरूआत भी की, जिससे लोग नाखुश नजर आ रहे हैं.
आज पतरा चॉल घोटाले का मामला यहां तक पहुंच चुका है कि शिवसेना के दिग्गज नेता, उद्ध ठाकरे के बेहद करीबी संजय राउत को भी इस मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. दरअसल साल 2007 में गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन जो की HDIL की सिस्टर कम्पनी है उसे पत्रा चाल को डिवेलप करने का काम म्हाड़ा के तरफ़ से दिया गया था. गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन को वहां रहने वाले लोगों को 672 फ़्लैट बनाकर देने थे और क़रीबन 3000 फ़्लैट म्हाड़ा को बनाकर देने थे. यह लैंड 47 एक़ड का था जहां पर वहां रहने वाले और म्हाड़ा को घर बनाकर देने के बाद बाक़ी बची ज़मीन पर वो घर बनाकर खुद बेच सकते थे.
एक आरोपी पहले ही गिरफ्तार
आरोप है कि गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन ने वहां किसी भी तरह का विकास नही किया और ना ही म्हाड़ा को फ़्लैट दिए, बल्कि उसने पूरी जमीन और FSI 8 बिल्डर को 1,034 करोड़ रुपए में बेच दी. ED ने 1 फ़रवरी को इस मामले में ECIR दर्ज की और प्रवीण राउत और उसके साथी सुज़ित पाटकर के कुल 7 ठिकानो पर छापेमारी की. इसके बाद 2 फ़रवरी को प्रवीण राउत को गिरफ़्तार किया गया था.
ईडी ऐसे पहुंची संजय राउत तक
प्रवीण राउत शिवसेना नेता संजय राउत के दोस्त माने जाते हैं प्रवीण राउत का नाम PMC स्कैम में भी आया था जिसकी जांच चल रही है. जांच के दौरान पता चला की प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी के बैंक से संजय राउत की पत्नी वर्षा के बैंक खाते में 55 लाख रुपए भेजे गए जिसका इस्तेमाल राउत परिवार ने दादर में एक फ़्लैट लेने के लिए किया था. इस मामले में वर्षा और माधुरी का बयान भी दर्ज किया गया है. सुज़ित पाटकर और संजय राउत के बेटी एक वाइन ट्रेडिंग फ़र्म में पार्टनर हैं. पाटकर की पत्नी और संजय राउत की पत्नी ने अलीबाग़ में पार्टनरशिप में ज़मीन ख़रीदी हैं (अलीबाग़ का वो फ़्लैट भी ED के रडार पर है). ईडी की यही जांच संजय राउत के गिरेबान तक पहुंच गयी और उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया.
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