नई दिल्ली: संसद की संयुक्त समिति ने गुरुवार को पेटीएम प्रतिनिधियों को बुलाया. उसने प्रतिनिधियों से कंपनी में चीनी कंपनियों के निवेश के बारे में सवाल पूछे. समिति के सदस्यों ने यह भी जानना चाहा कि कंपनी के डिजिटल भुगतान सेवा में चीनी निवेश कितना है. दरअसल, बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली समिति व्यक्तिगत आंकड़ा सुरक्षा विधेयक 2019 पर विचार कर रही है.


संसद की संयुक्त समिति ने पेटीएम से पूछे सवाल


समिति ने प्रतिनिधियों से कहा कि जिस सर्वर में ग्राहकों के आंकड़े हैं, उसे भारत में ही रखा जाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, विभिन्न दलों के सदस्यों वाली प्रवर समिति ने पेटीएम से पूछा कि सर्वर में ग्राहकों के रखे आंकड़े विदेश में क्यों है जबकि कंपनी भारतीय इकाई होने का दावा करती है. समिति के सदस्यों ने यह भी जानना चाहा कि कंपनी के डिजिटल भुगतान सेवा में चीनी निवेश कितना है.


सदस्यों ने पेटीएम के ई-वाणिज्य मंच पर खुद के बेचे जा रहे उत्पाद से हितों के टकराव की संभावना के बारे में भी पूछा. पेटीएम ने समिति को जवाब दिया कि संवेदनशील और व्यक्तिगत आंकड़े प्रसंस्करण (विश्लेषण) के लिए भारत के बाहर स्थानांतरित किए जा सकते हैं. लेकिन ऐसा आंकड़े से जुड़े व्यक्ति की जरूरी मंजूरी के बाद ही हो सकता है. इससे पहले, फेसबुक, ट्विटर और अमेजन पहले ही समिति के सामने अपनी बातें रख चुकी हैं. जबकि दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो, एयरटेल तथा ‘ऑनलाइन’ वाहन बुकिंग सेवा देने वाली ओला और उबर को समिति के सामने पेश होना है.


व्यक्तिगत सूचना संरक्षण विधेयक पर कर रही विचार


इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 11 दिसंबर, 2019 को व्यक्तिगत सूचना संरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश किया था. विधेयक में लोगों से जुड़ी निजी जानकारी के संरक्षण और आंकड़ा संरक्षण प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव किया गया है. विधेयक को बाद में विचार के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति को भेज दिया गया. प्रस्तावित कानून किसी व्यक्ति की सहमति के बिना व्यक्तिगत आंकड़ों के भंडारण और उपयोग पर रोक लगाता है.


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