श्रीनगर पहुंचे परिसीमन आयोग के सदस्यों से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने मिलने से इंकार कर दिया है. 6 जुलाई को पीडीपी ने कहा कि वो जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग से मुलाकात नहीं करेगी क्योंकि केंद्र ने लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. पीडीपी के महासचिव गुलाम नबी लोन हंजुरा ने आयोग को पत्र लिख कर कहा कि 'हमारी पार्टी ने इस प्रक्रिया से दूर रहने और कुछ अभ्यास का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है, जिसके परिणाम को व्यापक रूप से पूर्व नियोजित माना जाता है और जो हमारे लोगों के हितों को और नुकसान पहुंचा सकता है'.
साथ ही आयोग का नेतृत्व कर रही न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई को संबोधित करते हुए हंजुरा ने पत्र में पीडीपी के रुख को दोहराया कि अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर के संबंध में संवैधानिक परिवर्तन अवैध और असंवैधानिक किए गए थे. हंजुरा ने कहा कि पार्टी का मानना है कि आयोग के पास संवैधानिक और कानूनी जनादेश का अभाव है और इसके अस्तित्व और उद्देश्यों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को कई सवालों के घेरे में छोड़ दिया है.
जम्मू-कश्मीर को बनाया गया अपवाद
हंजुरा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को एक अपवाद बनाया गया है. साथ ही कहा कि ऐसी आशंकाएं हैं कि परिसीमन अभ्यास जम्मू-कश्मीर के लोगों के राजनीतिक अशक्तीकरण की समग्र प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे भारत सरकार ने शुरू किया है.
परिसीमन आयोग में है कानूनी जनादेश का अभाव
हंजुरा के मुताबिक परिसीमन आयोग में संवैधानिक और कानूनी जनादेश का अभाव है और इसके अस्तित्व और उद्देश्यों ने जम्मू-कश्मीर के हर सामान्य निवासियों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.