नई दिल्ली: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इजरायल के बीच शांति समझौते ने दुनिया के कूटनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है. ये समझौता इसलिए खास है, क्योंकि अभी तक मिडिल ईस्ट के दो देशों को छोड़कर कोई भी इजरायल को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं देता है. लेकिन अब यूएई ने भी इजरायल को मान्यता दे दी है.


इस समझौते से पूरी दुनिया और खास तौर पर मिडिल ईस्ट के समीकरण कैसे बिगड़ गए हैं, उसे समझने के लिए गाजा का जिक्र करना होगा. फिलीस्तीन के गाजा में समझौते का विरोध होना शुरू हो गया है. खास तौर फिलीस्तीन इसे यूएई की तरफ से पीठ में छुरा भोंकने जैसा बता रहा है. यही वजह है कि फिलीस्तीन में यूएई के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान का पुतला जलाया जा रहा है.


 ये समझौता भारत के लिए कैसा है?


भारत का सीधे तौर पर इस समझौते से कोई लेना देना नहीं है. लेकिन समझौते के पीछे छिपी बातें भारत के हक में हैं. ऐसे में इसे भारत की कूटनीतिक जीत कहना सही होगा. इस्लामिक देश यूएई और यहूदियों के देश इजरायल के बीच ये शांति समझौता अमेरिका ने कराया है. क्योंकि अमेरिका को मीडिल ईस्ट में ईरान से बदला लेना है और चीन के पर भी कतरने हैं. चीन, ईरान के जरिए इस इलाके में दाखिल हो रहा था. ईरान की ना तो यूएई से और ना ही इजरायल से बनती है.


अमेरिका के इस कदम से यहां चीन का पत्ता सीधे-सीधे कट गया, क्योंकि वो अब सिर्फ ईरान तक सीमित रह गया है. पाकिस्तान का भी यही हाल होने वाला है, क्योंकि पाकिस्तान यूएई का दोस्त तो बनता है, लेकिन इस डील की वजह से अब वो अलग थलग पड़ जाएगा. यूएई और इजरायल दोनों भारत के बहुत अच्छे मित्र हैं. ऐसे में दोनों देशों की मित्रता इस इलाके में भारत को मजबूत बनाएगा.


स्वतंत्रता दिवस से पहले पाकिस्तान की गीदड़ भभकी, कहा- भारत 5 या 500 राफेल लाए हम तैयार हैं