नई दिल्ली: पेगासस जासूसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सोमवार, 16 अगस्त के लिए टल गई है. पिछले हफ्ते कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा था कि वह सरकार को अपनी याचिका की कॉपी सौंपें. सरकार का जवाब सुनने के बाद ही अगला आदेश तय किया जाएगा. आज केंद्र की तरफ से सॉलिसीटर जनरल ने जानकारी दी कि उन्हें याचिकाएं कल शाम तक मिलती रहीं. उन्हें पढ़ कर सरकार से निर्देश लेने में कुछ वक्त लगेगा. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाल दी.


मोदी सरकार पर राजनेताओं, पत्रकारों, जजों समेत दूसरे लोगों की जासूसी करवाने के आरोपों को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते गंभीर कहा था. लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता आरोपों के समर्थन में कोई ठोस बात नहीं कह पा रहे हैं. उन्होंने सिर्फ मीडिया में छपी खबरों को आधार बनाया है. कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई थी कि अगर कोई भी इस बात पर आश्वस्त है कि उसकी जासूसी हुई है, तो उसने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई?


केंद्र सरकार संसद में यह कह चुकी है कि उसने पेगासस बनाने वाले इज़रायल के एनएसओ ग्रुप से कोई सौदा नहीं किया है. माना जा रहा था कि सरकार आज यही बात सुप्रीम कोर्ट को भी बताएगी. लेकिन सॉलिसीटर जनरल ने याचिकाएं देर से मिलने को आधार बनाते हुए कोर्ट से समय मांग लिया. उन्होंने कहा कि उन्हें एन राम, जॉन ब्रिटास, परंजोय गुहा ठाकुरता, एम एल शर्मा समेत 9 लोगों की याचिकाएं मिल गई हैं. यशवंत सिन्हा की याचिका अब तक उनके पास नहीं आई है. इस पर कोर्ट ने उन्हें याचिकाओं को देखने और सरकार से निर्देश लेने के लिए समय दे दिया.


कोर्ट ने आज याचिकाकर्ताओं को भी नसीहत दी कि वह सोशल मीडिया पर बहस से बचें. चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि जो भी याचिकाकर्ता हमारे सामने हैं, वह हमारे सामने ही बात रखें. हमारे सवालों के जवाब दें. अगर मीडिया या सोशल मीडिया पर ही बात रखना चाहते हैं तो अलग बात है. हम बहस के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन आप समानांतर प्रक्रिया न चलाएं. कुछ अनुशासन होना चाहिए." याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश कपिल सिब्बल, श्याम दीवान समेत दूसरे वरिष्ठ वकीलों ने कोर्ट की बात से सहमति जताई. उन्होंने कहा कि वह अपने मुवक्किलों को सलाह देंगे कि वह कोर्ट में ही अपनी बात रखें.


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