कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पेगासस जासूसी की पड़ताल के लिए जांच आयोग का गठन किया है. जिसके बाद बीजेपी ने टीएमसी और मुख्यमंत्री पर वार करते हुए कहा कि वो केवल ड्रामा करना चाहते हैं.


दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर सरकार द्वारा नियुक्त आयोग के दो सदस्य हैं. बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया है कि बंगाल में नेता व्हाट्सएप कॉल, फेसटाइम या यहां तक कि सिग्नल सुनने के डर से सामान्य कॉल पर भी बोलने से बचते हैं.


बीजेपी आईटी सेल के संयोजक अमित मालवीय ने टीएमसी सुप्रीमो पर तंज कसते हुए ट्विटर पर कहा, "हम इस बात से भी हैरान हैं कि ममता बनर्जी ने फर्जी "पेगासस प्रोजेक्ट" की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया है? उसकी प्राथमिकताओं को हमेशा विकृत किया गया है. अगर केवल उन्होंने चुनाव के बाद की हिंसा की जांच करने और बंगाल में कई कोविड घोटालों की जांच करने के लिए इतनी तत्परता दिखाई होती”






इसी तरह, भारतीय जनता युवा मोर्चा की अधिवक्ता और उपाध्यक्ष, प्रियंका टिबरेवाल ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के हाल ही में सुर्खियों में आए मुद्दे पर सवाल उठाए. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के बाद हुई हिंसा के बारे में पूछताछ करने पर एनएचआरसी के अधिकारियों को पीटा जाता है और सवाल किया जाता है कि इसकी जांच के लिए कोई पैनल क्यों नहीं बनाया गया. उन्होंने बनर्जी की रुचि 'राष्ट्रीय राजनीति में निहित' को जोड़ा.


उनकी पूरी दिलचस्पी राष्ट्रीय राजनीति में है- टिबरेवाल


टिबरेवाल ने कहा, “ममता बनर्जी ने जो समिति बनाई है, वह इसलिए है क्योंकि उनकी पूरी दिलचस्पी राष्ट्रीय राजनीति में है. पहली बार हमने ऐसा उम्मीदवार देखा है जो विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में बैठा है और अब भी उसका लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ना है.


सारदा घोटाले पर सवाल उठाते हुए उन्होंने बनर्जी पर और हमला किया. उन्होंने कहा, “ममता ने एक समिति क्यों नहीं बनाई, जब उनकी 200 रुपये की पेंटिंग रुपये में लाई गई थी. सारदा चिट फंड के सुदीप्तो सेन द्वारा 1 करोड़ 80 लाख. जब चिटफंड कंपनी ने उनकी पेंटिंग इतनी ऊंची कीमत पर ली तो ममता बनर्जी ने कमेटी क्यों नहीं बनाई? इसलिए, यह उनके राजनीतिक हितों के अलावा और कुछ नहीं है जो बहुत स्पष्ट रूप से स्पष्ट है."


बीजेपी सांसद राजू बिस्ता ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में लगातार बढ़ती हिंसा जैसे मुद्दों से बचने के लिए समिति बनाई गई है और यह स्थापित करती है कि बनर्जी धर्मी हैं और 'नाटक चाहते हैं. 'बिस्ता के मुताबिक, ''ममता दीदी ने आज जो कमेटी बनाई है, वह महज एक छलावा है, एक ड्रामा है. टीएमसी और ममता दीदी पर उठ रहे सवालों से बचने के लिए आयोग का गठन किया गया है. पश्चिम बंगाल में लगातार बढ़ती हिंसा से बचने के लिए; ममता और टीएमसी ने कैसे पश्चिम बंगाल को 400 करोड़ के कर्ज में डुबो दिया है; और कितनी उंगलियां COVID-19 संकट के खराब प्रबंधन के संबंध में सरकार की ओर इशारा कर रही हैं.”


बीजेपी को सच्चाई की तलाश में उनकी मदद करनी चाहिए- टीएमसी


टीएमसी विधायक विवेक गुप्ता ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और दावा किया, "आयोग एक पहल है, पश्चिम बंगाल और पूरे देश के लोगों को यह बताने का प्रयास है कि वे सुरक्षित हैं." उन्होंने कहा, “हर कोई जानता है कि बीजेपी जासूसी कर रही है, बुनियादी मानवाधिकारों और हर भारतीय नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है और अब हम पर आरोप लगा रही है. बीजेपी को इसके बजाय उक्त मुद्दे को देखते हुए पश्चिम बंगाल में पहली न्यायिक समिति की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए सफल कदमों की सराहना और स्वागत करना चाहिए. साथ ही अगर बीजेपी ने कुछ गलत नहीं किया है तो उन्हें खुद आयोग का सहयोग करना चाहिए और सच्चाई की तलाश में उनकी मदद करनी चाहिए."


ममता बनर्जी ने पहले सुप्रीम कोर्ट से पेगासस स्पाइवेयर द्वारा कथित निगरानी की स्वत: संज्ञान लेकर जांच करने को कहा था. बनर्जी ने केंद्र सरकार पर भी तीखा हमला करते हुए कहा कि उन्होंने जासूसी रोकने के लिए अपने फोन पर कैमरा कवर किया था.


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