नई दिल्ली: पेगासस का इस्तेमाल कई देशों की सरकारें और इंटेलिजेंस एजेंसियां करती हैं. इजरायल के एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वो इसे सिर्फ सरकारों को ही बेचती है. वैसे भी इसे खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं है. अपनी खूबियों के चलते ये सॉफ्टवेयर बहुत महंगा है.


NSO ग्रुप पेगासस स्पाईवेयर का लाइसेंस बेचती है, लाइसेंस की कीमत अलग-अलग हो सकती है. लाइसेंस की कीमत 70 लाख रुपये तक होती है. एक लाइसेंस से कई स्मार्ट फोन हैक हो सकते हैं, जानकारी के मुताबिक 500 फोन को मॉनिटर किया जा सकता है. एक बार में सिर्फ 50 फोन ही ट्रैक हो सकते हैं.  


एक शख्स की जासूसी के लिए पेगासस के इस्तेमाल पर कितना खर्च?
2016 में पेगासस के जरिए 10 लोगों की जासूसी का खर्च करीब 9 करोड़ रुपये बैठता है. इसमें करीब 4 करोड़ 84 लाख 10 फोन को हैक करने का खर्च था. करीब 3 करोड़ 75 लाख रुपये इंस्टॉलेशन फीस के तौर पर चार्ज किए जाते थे. एक साल की लाइसेंस फीस करीब 60 करोड़ रुपये के आसपास बैठती थी.


भारत में करीब 300 लोगों की जासूसी का आरोप पेगासस पर लगा है, यानि अगर 2016 के दाम पर हिसाब किताब किया जाए तो ये रकम करीब 2700 करोड़ बैठती है.


जासूसी कांड को लेकर आज भी संसद में हंगामे के आसार
 राज्यसभा में आज जासूसी कांड पर आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव बयान देंगे. कांग्रेस का इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए बड़ा प्लान है. साथ ही राज्यसभा में पेगासस और आक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत के मामले पर हंगामे के आसार हैं. वहीं लोकसभा में आज किसानों और जासूसी कांड के मसले पर एक बार फिर हंगामा होने की संभावना है. 


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