Pegasus Spy Case: कथित जासूसी कांड को लेकर आज संसद में हंगामा हुआ. वहीं आज इस कांड में राहुल गांधी समेत कई राजनीतिक हस्तियों के नाम आने के बाद अब इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष की तक़रार बढ़नी तय है. हालांकि सरकार ने जासूसी की ख़बरों को निराधार और भारतीय लोकतंत्र के ख़िलाफ़ साज़िश बताया है. 


इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस के ज़रिए भारत में अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के फोन टैपिंग करवाने से जुड़ी ख़बर पर संसद के दोनों सदनों में आज बवाल मच गया. कांग्रेस ने सबसे प्रमुख तौर पर इस मुद्दे पर दोनों सदनों में सरकार पर हमला बोला. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि उन्हें मालूम था कि सरकार सभी लोगों की बातें सुन रही है. उसके बाद से लगातार सरकार पर सवाल उठने लगे. हंगामे के बाद देश के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए पलटवार किया. वैष्णव ने सदन में एक बयान दिया.


बयान में अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा?



  • मॉनसून सत्र के ठीक पहले इस ख़बर के आने से ये पता चलता है कि मंशा क्या है? 

  • ये ख़बर भारत के लोकतंत्र को बदनाम करने की साज़िश है.

  • रिपोर्ट का आधार एक लीक हुआ डेटाबेस है जिसमें क़रीब 50000 फोन नम्बर हैं. दावा ये है कि इन फोन नम्बरों की जासूसी हुई जो बिल्कुल ग़लत है.

  • रिपोर्ट में ख़ुद कहा गया है कि डेटाबेस में फोन नम्बर होने का ये मतलब नहीं है कि फोन की जासूसी हुई है.

  • पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनी NSO का कहना है कि पेगासस का इस्तेमाल करने वाले जिन देशों की सूची जारी की गई है वह गलत है.

  • जिन देशों का नाम दिया गया है, उनमें से कई देश NSO के क्लाइंट (ग्राहक) ही नहीं है. 

  • भारत में फोन टैपिंग के लिए क़ानून के तहत प्रक्रियाएं तय की हुई हैं जो भारतीय टेलीग्राफ क़ानून,1885 और सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून 2000 के तहत आती हैं.


वैसे इस मामले में नए ख़ुलासे के बाद अब संसद में बवाल बढ़ना तय हो गया है.