Pegasus Spying: पहली बार सामने नहीं आया जासूसी का जिन्न, वक्त के पन्नों में दर्ज हैं ऐसे कई कांड
गार्जियन अखबार के खुलासे के मुताबिक इस सॉफ्टवेयर के जरिए दुनिया भर में 50 हजार से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही है. गार्जियन का दावा है कि 16 मीडिया संगठनों की जांच के बाद ये खुलासा किया गया है.
नई दिल्ली: देश में एक बार फिर जासूसी कांड को लेकर बवाल मचा हुआ है. सोशल मीडिया से लेकर संसद तक इस मुद्दे की गूंज सुनाई दे रही है. विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को संसद में घेरने की रणनीति बना रहा है. सूत्रों के मुताबिक़ विपक्ष इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति यानी JPC जांच की मांग करेगा. वहीं दूसरी तरफ सरकार भी अपने मंत्रियों के साथ जासूसी कांड पर विपक्ष पर पलटवार के लिए तैयारी कर रही है.
आज मानसून सत्र की शुरुआत के दिन संसद भवन से निकलते हुए राहुल गांधी ने सांसद रवनीत बिट्टू से जासूसी कांड को लेकर रणनीति पर बात की जबकि शिवसेना भी सरकार को घेर रही है. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि ये देश की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा करने वाली घटना है. अगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का फोन भी टैप हो रहा हो तो हैरानी की बात नहीं. वहीं सरकार ने जासूसी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.
क्यों मचा है जासूसी कांड पर इतना बवाल?
दरअसल वॉशिंगटन पोस्ट और द गार्जियन अखबार के दावे के मुताबिक देश में 40 से ज्यादा पत्रकार, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, एक संवैधानिक प्राधिकारी, नरेंद्र मोदी सरकार में दो पदासीन मंत्री, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख एवं अधिकारी और बड़ी संख्या में कारोबारियों की जासूसी की गई.
द गार्जियन और वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट के जरिए आरोप लगाया है कि दुनिया की कई सरकारें एक खास पेगासस नाम के सॉफ्टवेयर के जरिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, बड़े वकीलों समेत कई बड़ी हस्तियों की जासूसी करवा रही हैं, जिसमें भारत भी शामिल है. भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है.
पहली बार नहीं सामने आया जासूसी का जिन्न, काफी पुराना है इतिहास
देश में जासूसी कांड की कथा नई नहीं है, राजनीति और जासूसी या फोन टैपिंग का रिश्ता बहुत पुराना है. इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सांसद, उद्योगपति और सिनेमाई जगत के लोगों के नाम पहले भी आ चुके हैं. आज हम आपको बीते वक्त के कुछ पन्ने पलट कर ऐसे ही जासूसी या फिर कहें कि फोन टैपिंग के किस्से बताने जा रहे हैं.
जब राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री पर लगाया आरोप- ज्ञानी जैल सिंह ने राष्ट्रपति रहते हुए तत्कालीन पीएम राजीव गांधी पर फोन टैप का आरोप लगाया था. जैल सिंह का कहना था कि राजीव यह जानना चाहते थे कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ मेरी क्या बातचीत हो रही है
1988 - कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े के कार्यकाल में भी फोन टैपिंग का बड़ा मामला सामने आया था, राजनीतिक विरोधियों के फोन टैप करने के आरोप में कर्नाटक के मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े को इस्तीफा देना पड़ा था
1990 - चंद्रशेखर ने तत्कालीन नेशनल फ्रंट की सरकार पर अपना फोन टैप करने का इल्जाम लगाया था
2006 - पूर्व सांसद अमर सिंह ने आईबी से जुड़े कुछ लोगों पर फोन टैप का आरोप लगाया था, अमर सिंह ने केंद्र और सोनिया गांधी पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया था.
2010 - उद्योगपतियों रतन टाटा और मुकेश अंबानी की कंपनियों के लिए जनसंपर्क का काम कर चुकीं नीरा राडिया के फोन टैप का मामला सामने आया, लेख में दावा किया गया था कि उद्योग जगत के लोग, नेताओं और मीडियाकर्मियों ने ए राजा को दूरसंचार मंत्री बनाए रखने के लिए गोलबंदी की थी
2010 – एक पत्रिका ने दावा किया कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने देश के कुछ शीर्ष नेताओं के फोन टैप करवाए, जिसमें तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार, कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सीपीएम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात शामिल थे
2010 - तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक चिट्ठी लिखकर जासूसी का शक जताया था. प्रणब ने इस चिट्ठी में अपने मंत्रालय में 16 जगहों पर चिपकाने वाला पदार्थ मिलने की बात कही थी.
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