नई दिल्ली: पोगासस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से टारगेट फोन कॉल की लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट की महिला कर्मचारी का नाम भी शामिल है. ये वो नाम है जिसने देश के पूर्व मुख्य न्यायधीश सीजेआई रंजन गोगई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.


बता दें, साल 2019 अप्रैल महीने में सुप्रीम कोर्ट की एक कर्मचारी ने रंजन गोगई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला का नाम भी टारगेट के रूप में चुने गया है. द वायर की माने तो कर्मचारी से संबंधित 3 नंबर निशाने पर थे. एक महिला का खुद का दूसरा उसके पति का और तीसरा उसके बहनोई का.


काम करने के दौरान उसका यौन उत्पीड़न किया गया- महिला कर्मचारी


द वायर की रिपोर्ट में कहा गया कि महिला कर्मचारी के संबंधित नंबर्स की निगरानी तब शुरू हुई जब साल 2019 में 11 अप्रैल के दिन उसने सुप्रीम कोर्ट के जजों को एक शपथपत्र में अपने आरोपों को सार्वजनिक किया था. उन्होंने शिकायत में आरोप लगाए थे कि, साल साल 2018 अक्टूबर महीने में सीजीआई के कार्यकाल में काम करने के दौरान उसका यौन उत्पीड़न किया गया.


आरोपों को रंजन गोगई ने झूठ करार दिया


वहीं, मामले में रंजन गोगई की तरफ से इन बयानों और आरोपों को सरासर झूठ करार दिया. उन्होंने कहा कि ये निंदनीय है और न्यायपालिक को अस्थिर करने की बड़ी साजिश के रूप में खारिज कर दिया गया था.


साबित नहीं होता कि वाकई सर्विलांस हुआ है- आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव


आपको बता दें, बीते दिन लोकसभा में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि, इस खबर को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले ये प्रेस रिपोर्ट सामने आयी ये कोई एक इतिफाक नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि डेटा में फोन नंबर्स की मौजूदगी से हैक की पुष्टि किसी प्रकार भी नहीं होती. उन्होंने कहा कि डाटा ये साबित नहीं होता कि वाकई सर्विलांस हुआ है. साथ ही एनएसओ ने रिपोर्ट को गलत भी ठहराया है.


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