श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के पीडीपी से अलग होने के फैसले पर चर्चा राजनीतिक गलियारों से लेकर चौक चौराहों तक हो रही है. इस फैसले के साथ प्रधानमंत्री मोदी की कश्मीर नीति को भी जोड़कर देखा जा रहा है. बीजेपी ने समर्थन वापस कर सरकार गिराने के अपने इस फैसले को देश हित में लिया फैसला बताया है जबकि विपक्ष इसे बेमेल गठबंधन और सरकार की नाकामी बता रहा है. लेकिन देश का आम आदमी क्या सोच रहा है? वो पीएम मोदी औऱ अमित शाह के इस फैसले को सही मान रहे हैं या गलत , इस पर ABP न्यूज़ ने 20 शहरों की जनता की राय जानी थी जिसके बाद अब रक्षा एक्सपर्ट्स की भी राय ली गई है.
ज्यादातर लोगों को फैसला पसंद आया
एक्सपर्ट की राय से पहले बीजेपी के इस फैसले को जिन लोगों से बात की गयी उनमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा ने सही करार दिया है. ये आंकड़ा 20 शहरों की जनता की बातचीत में सामने आया है. जबकि बाकियों ने इस फैसले के साथ-साथ कश्मीर नीति पर सवाल उठाया. कश्मीर में जब एबीपी के संवाददाता ने मॉर्निंग वॉक पर आए लोगों से सवाल किया तब उन्होंने कहा कि बीजेपी का ये फैसला बिल्कुल सही है. वहीं जम्मू के लोगों ने इस फैसले पर खासी खुशी जताई. एक और व्यक्ति ने फैसले पर कमेंट करते हुए कहा कि देर आए दुरुस्त आए. इस बातचीत के दौरान किसी ने इस फैसले के खिलाफ कोई बात नहीं कही.
दिल्ली से छत्तीसगढ़ से सब फैसले के साथ
दिल्ली की जनता का कहना है कि अच्छा हुआ कि ये गठबंधन टूट गया और ऐसी सरकार बननी ही नहीं चाहिए थी. वहीं इस बातचीत के दौरान लोगों में कश्मीर में मारे गए सैनिकों को लेकर भी साफ दर्द दिखा. लोगों में पत्थरबाजी के खिलाफ भी आक्रोश देखने को मिला. दिल्ली में भी कोई इस फैसले की खिलाफत करता नज़र नहीं आया. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की जनता ने भी बीजेपी के इस फैसले को सही ठहराया.
एक्सपर्ट्स भी फैसले के साथ
मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर कर्नल यूएस राठौड़ ने कहा कि लोग राज्यपाल शासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन कश्मीर के लिए राज्यपाल शासन कोई नई बात नहीं है. यहां कई बार ऐसा हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि इस सरकार ने जम्मू और कश्मीर के बीच तनाव पैदा कर दिया. उन्होंने कहा कि गठबंधन टूटने के बाद पीडीपी खोई हुई ज़मीन वापस पाने की कोशिश करेगी.
मामले पर रक्षा विशेषज्ञ अजय साहनी ने मोदी की कश्मीर नीति सही या गलत के सवाल पर कहा कि देश को राजनीति ने धोखा दिया लेकिन कश्मीर में पीएम मोदी ने जो किया वो जरूरी था और वरिष्ठ पत्रकार राहुल जलाली का कहना कि जो होना था वो हो गया, कश्मीर में डर का माहौल है. 6 महीने में वहां के हालात सुधारने होंगे. वहीं, कश्मीर एक्सपर्ट परीक्षित मिन्हास कहते हैं कि कश्मीर को सबसे ज्यादा नुकसान राजनीति से हुआ. अब कम से कम कुछ बेहतर होना चाहिए.
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी के अलग होने को लेकर जनता की राय हो या एक्सपर्ट्स का ओपिनियन, लगभग सभी को लगता है कि ये फैसला सही है. देखने वाली बात होगी कि 2019 के चुनाव के पहले राज्यपाल शासन से राज्य की स्थिति बदलती है या नहीं और की इससे किसे फायदा और किसे नुकसान होता है.
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