NCERT किताब में छपी कविता "आम की टोकरी" को लेकर लोगों में गुस्सा, कहा- बाल मजदूरी को दिया जा रहा बढ़ावा
एनसीईआरटी किताब में छपी एक कविता को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों में गुस्सा देखने को मिल रहा है. यूजर्स का कहना है कि ये कविता बाल मजदूरी को पूरी तरह बढ़ावा दे रही है.
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नई दिल्ली: एनसीईआरटी किताब में छपी एक कविता को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों में खास गुस्सा देखने को मिल रहा है. दरअसल, इस कविता में एक 6 साल की बच्ची आम बेच रही है. सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि ये कविता पूरी तरह बाल मजदूरी को बढ़ावा दे रही है.
एनसीईआरटी किताब में छपी कविता "आम की टोकरी" में शब्द "छोकरी" का इस्तेमाल किया गया है. छोकरी का मतलब लड़की से है. ये 6 साल की छोकरी आम की टोकरी अपने सर पर रखकर लोगों के बेचने के लिए निकली है. कहा जा रहा है कि कविता की थीम "चाइल्ड लेबर" यानी कि "बाल मजदूरी" को बढ़ावा दे रहा है.
छत्तीसगढ़ की तकनीकी शिक्षा विभाग में तैनात अफसर ने शेयर किया स्क्रीनशॉट
बता दें, बीते दिन 2009 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर आईएएस अफसर अश्विन शर्मा जो राज्य की तकनीकी शिक्षा विभाग में तैनात हैं उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस कविता के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए कहा, "ये किस सड़क छाप कवि की रचना है? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर निकाला जाए."
ये किस ‘सड़क छाप’ कवि की रचना है ?? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर करें. pic.twitter.com/yhCub3AVPR
— Awanish Sharan (@AwanishSharan) May 20, 2021
जिसके बाद तमाम ट्विटर यूजर्स ने इस स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए इस कविता पर कई तरह के सवाल उठाए साथ ही अपना गुस्सा जाहिर किया. एक यूजर ने कहा कि, "ये बाल मजदूरी को पूरी तरह बढ़ावा दे रहा है" तो वहीं एक अन्य यूजर ने कहा कि, "हैरानी है इस तरह का पाठ्य देख बच्चों की किताबों में."
उत्तराखंड के एक कवि ने लिखी ये कविता
बता दें, आम की टोकरी कविता एक उत्तराखंड के रामकृष्ण शर्मा खादर नाम के कवि की लिखी हुई है जिसको एनसीईआरटी किताब का हिस्सा साल 2006 से बनाया हुआ है. बताया जा रहा है कि इस कविता के पन्ने पर आखिर में पब्लिशर ने शिक्षिकों से अनुरोध किया है कि वो बच्चों से बाल मजदूरी के बारे में बात करें.
उसमें लिखा है कि बच्चों से बात करें और पूछें कि क्या वो ऐसे किसी बच्चे को जानते हैं जो स्कूल जाने के बजाय बाल मजदूरी कर रहे हैं. अगर हां तो उन्हें बताये कि वो कैसे इन बच्चों की मदद कर उन्हें स्कूल में दाखिला लेने को प्रेरित कर सकते हैं.
इसके साथ ही इसमें ये भी कहा गया है कि जिस प्रकार से इस कविता में 6 साल की बच्ची लोगों के बीच आम बेच रही है इसी तरह कक्षा में बच्चों से अभिनय करने को कहा जाए कि वो इस बच्ची की तरह आम, सेव, नींबू बेचें.
कविता में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं- एनसीईआरटी अधिकारी
आपको बता दें, जब इस पूरे मामले पर एक मीडिया टीम ने एनसीईआरटी के एक वर्तमान और पूर्व अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि ये विवाद अनावश्यक है. उन्होंने कहा कि उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत इस कविता में नजर नहीं आती. ये बच्चों को शब्दांश और हिंदी वर्णमाला सिखाती है.
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