नई दिल्ली:  नोटबंदी हुई. लोग परेशान हो गए. ई-वॉलेट का विकल्प दिया गया. पेटीएम की चांदी हो गई. हर रोज पेटीएम से हजारों लोग जुड़ रहे हैं. जिसमें छोटे दुकानदार भी शामिल हैं. लेकिन अब ये दुकानदार परेशान हैं. कभी इनके पैसे फंस जा रहे हैं तो कभी सप्लायर पेटीएम से भुगतान लेने से मना कर देता है.


दिल्ली के कनॉट प्लेस में विजय शुक्ला नाम के शख्स की पान की दुकान है. विजय की तीन पीढियां इसी धंधे से जुड़ी रही हैं. नोटबंदी के बाद जब विजय को नकदी की दिक्कतें आने लगीं तो इन्होंने पेटीएम अपना लिया. विजय ने सोचा था कि पेटीएम से भुगतान लेने से उनकी समस्या दूर हो जाएगी. लेकिन अब वो परेशान है. कभी इंटरनेट धीमे चल रहा है तो कभी सर्वर डाउन होने के चलते इन्हें भुगतान लेने में दिक्कतें आ रही हैं.



विजय शुक्ला का कहना है कि जब पेटीएम से पेमेंट करते हैं. उस समय या तो पेटीएम बहुत स्लो चलता है या फिर पेमेंट कई बार आ जाती है.  इतना ही नहीं शुक्ला जी का ये भी कहना है कि वो तो पेटीएम से पैसा ले रहे हैं लेकिन उनसे कोई नहीं ले रहा. विजय की सबसे बड़ी दिक्कत है कि जब वो पेटीएम से भुगतान कर अपनी दुकान के लिए सामान लेने जाते हैं तो वहां सप्लायर पेटीएम से पेमेंट लेने से मना कर देता है और नकदी की मांग करता है.


ये दिक्कत सिर्फ विजय शुक्ला या किसी एक छोटे दुकानदार की नहीं है. करीब-करीब पेटीएम करने वाला हर छोटा दुकानदार खुद तो भुगतान ले लेता है. लेकिन जब वो अपने डिस्ट्रीब्युटर या सप्लायर को पेटीएम से पेमेंट देना चाहता है तो वो डिजिटल पेमेंट लेने से मना कर देते हैं. ऐसे में पैसा होने के बावजूद भी दुकानदार खुद को ठगा महूसस कर रहा है.



ऐसे में एबीपी न्यूज पेटीएम के वाइस प्रेसिडेंट किरण वसरी रेड्डी से बात की तो उन्होंने कहा ‘’हमारा पहला टारगेट रिटेलर को जोड़ने का था. जिसमें हम 50 लाख रिटेलर को जोड़ चुके हैं. अब हम डिस्ट्रीब्यूटर लेवल पर काम कर रहे हैं. जल्द सब ठीक हो जाएगा. हालांकि पेटीएम का ये भी कहना है कि छोटे दुकानदार अपने रोजमर्रा की जरुरतों के लिए के लिए पेटीएम वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं.


पेटीएम जल्द ही दिक्कतें दूर करने का दावा कर रहा है. लेकिन इस दौरान छोटे दुकानदारों को दोनों तरफ से मार झेलनी पड़ रहा है. कैश नहीं होने के कारण जहां दुकानदार अपना काम छोड़कर घंटों बैंक और एटीएम की लाइन में लगते हैं वहीं जब पेटीएम इस्तेमाल करते हैं तो दुकान का सामान खरीदने के लिए भटकना पड़ रहा है. ऐसे में जो सप्लायर,डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर की चेन है वो कहीं ना कहीं टूटती नजर आ रही है.