भारत में इस वक्त नवरात्र और रमजान का पवित्र महीना चल रहा है. इस दौरान देश के कईं राज्यों में मीट की दुकानें बंद करवाने की भी मांग की जा रही है. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में इस समय हिंदुओं में भी नानवेज खाने की प्रवृत्ति बेहद बढ़ी है. 


दरअसल राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 ( National Family Health Survey-5) के आंकड़े बताते हैं कि विश्लेषण किए गए 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से आधे से ज्यादा आबादी में 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग मछली या चिकन या मांस का दैनिक या साप्ताहिक खाते हैं. 


बता दें कि पिछले कुछ महीनों में देश में नॉनवेज खाने और बेचने को लेकर तमात तरह की बहस हो चुकी है. बीते सोमवार ही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यन ने नगर निकाय के आयुक्त को लेटर लिखकर नवरात्रि के दौरान मांस की दुकानों को बंद करने का अनुरोध किया था. इसके अलावा कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने हिंदुओं से कर्नाटक में मुसलमानों द्वारा बेचे जाने वाले हलाल मांस को वर्षाथोडकु या होसाडोडकु से पहले नहीं खरीदने का आग्रह किया है. 




मछली या चिकन या मांस


सर्व से पता चलता है कि 16 राज्यों में लगभग 90 प्रतिशत लोग मीट मछली या चिकन खाते हैं. वहीं चार राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में यह आंकड़ा 75-90 प्रतिशत रहा. वहीं सर्वे के अनुसार पांच राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में यह 50 से 75 प्रतिशत लोग नॉनभेज खा रहे हैं.  


इन आंकड़ों को देखकर एक कहावत याद आती है जो कि आम लोगों के जुबान पर होता है. ''आप रुपी भोजन पराया रुपी श्रृंगार'' इसक सीधा मतलब देखा जाए तो यह है कि अपने पसंद का भोजन करें और श्रृंगार दूसरे के हिसाब से किया जाता है. ऐसा इसलिए कि जो हम खाते हैं उससे हमे ऊर्जा मिलती है लेकिन जो हम श्रृंगार करते हैं उससे दूसरे लोग देखते हैं.


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