नई दिल्ली: क्या मान लिया जाए कि कोरोना खत्म हो गया है ? ये सवाल पूछने की वजह हैं वो लोग जो घरों से बाहर निकल तो रहे हैं लेकिन इसके पीछे काम या मजबूरी वजह नहीं है. ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर आई तो स्थिति भयावह हो सकती है. इसकी वजह बनेगी हमारी आपकी लापरवाह फितरत, जो खतरा कम होते ही सारी सावधानियों को एक बक्से में बंद करके रख देते हैं.
दरअसल मैदानी इलाकों में कहर बनकर बरस रही गर्मी को मात देने के लिए लोग इन पहाड़ियों का सहारा ले रहे हैं. पहाड़ी राज्यों की तरफ बढ़ने वाले रास्ते पर गाड़ियों का रेला लगा हुआ है. सड़कें इंसानों की भीड़ से गुलजार हैं. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान हर कोई पहाड़ियों का लुत्फ उठाने पहुंच रहा है.
इस भीड़ में दूरी का ख्याल रख पाना तो नामुमकिन है लेकिन चेहरे पर मास्क भी ना लगाया जाए ऐसी तो कोई मजबूरी समझ नहीं आती. कई हिल स्टेशनों पर सैलानियों की ऐसी बाढ़ आ गई है कि होटलों में ऑनलाइन तो छोड़िए ऑफलाइन बुकिंग भी नहीं मिल रही.
शिमला का हाल भी कुछ ऐसा ही है. दिन के वक्त की भीड़ शाम होते-होते दोगुनी हो जाती है. दिल्ली, पंजाब हो या यूपी, ठंड का लुत्फ उठाने के लिए खूब भीड़ पहुंच रही है. 14 जून से कोरोना बंदिशे ख़ासकर RTPCR रिपोर्ट के ख़त्म होने के बाद प्रदेश में पिछले तीन सप्ताह के दौरान 3 लाख से ज़्यादा वाहन आ चुके है। हर दिन प्रदेश में 20 हज़ार से ज़्यादा वाहन आ रहे है। जून माह में 5 से 6 लाख पर्यटकों ने हिमाचल का रूख किया।
नैनीताल की वादियां भी सैलानियों से गुलजार है. भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग तो क्या तिल रखने भर की जगह नहीं है. सड़कें हों या नैनी झील में चलन वाली नाव सबकुछ फुल बुकिंग है. रंग बिरंगी ये तस्वीर देखने में जितनी खूबसूरत लग रही है कहीं, ऐसा ना हो कि आने वाले कुछ वक्त में ये जिंदगी को उतनी ही बदरंग बना दें.
टिक-टिक करती घड़ी हर सेकेंड कोरोना की तीसरी लहर की आहट का एहसास करवा रही है. ऐसे में हमारी ये लापरवाही, अस्पताल के बाहर लंबी लाइन में ना तब्दील हो जाएं. कहीं ऐसा ना हो कि आज फुल चल रहे इन होटलों की तस्वीर कल अस्पताल के फुल बिस्तर में बदल जाए.