एक तरफ जहां बढ़ती गर्मी से लोग त्रस्त हो रहे हैं. वहीं इसकी वजह से हो रहे पानी की किल्लत ने भी अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं. मध्यप्रदेश के शिवपुरी में गर्मी का मौसम साल दर साल आता है और साथ लाता है पानी की किल्लत. इस बार वक्त से पहले गर्मी ने ये आफत बढ़ा दी है. लोगों को पानी के लिए 2 से 3 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है और अगर पानी नहीं मिलता तो पानी के लिए 300 रूपये खर्च करने पड़ते हैं.


सालों से चली आ रही इस समस्या से निपटने के लिये सन 2010 में सिंध नदी से पानी लाने की एक योजना लायी गयी. योजना का नाम था जलावर्धन योजना. इसकी लागत 55 करोड़ रूपयों थी, जो 12 साल में बढ़कर 120 करोड़ हो गयी है, लेकिन पानी की समस्या जस की तस बनी रही.


यही हाल जोधपुर का भी है. इस जिले में कई जगह पानी की किल्लत है. सार्वजनिक नलों में कभी 2 दिन बाद तो कभी 7 दिन बाद पानी आता है. ऐसे में पानी की किल्लत के चलते लड़ाई झगड़े भी बढ़ रहे है.


डिंडौरी में भी भीषण जलसंकट


शिवपुरी के अलावा मध्य प्रदेश में डिंडौरी जिले के कई गांवों में भी भीषण जलसंकट के हालात बने हुए हैं. ताजा मामला शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के डोमदादर गांव का है जहां पानी के लिए ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हैं. रात होते ही ग्रामीण कुएं के पास कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं और अपनी बारी का इंतज़ार करते हैं. 


शाम से रात के बीच जो थोड़ा सा पानी कुएं में जमा होता है उसको भरने ग्रामीणों के बीच होड़ मची रहती है. रात में जो कुएं के पास पहले पहुंच जाता है उसे तो पानी नसीब हो जाता है और बाद में पहुंचने वाले ग्रामीणों को गंदा व मटमैला पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. गांव के स्कूल में एक हैंडपंप है जिसमें सिर्फ दो तीन बाल्टी पानी ही निकलता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर कलेक्टर तक व संत्री से लेकर मंत्री तक पानी की समस्या को लेकर कई बार शिकायत की है लेकिन अबतक किसी भी ने उनकी सुध नहीं ली है. 


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