देश में कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए 16 जनवरी को हेल्थ वर्कर्स के लिए अपना टीकाकरण अभियान शुरू किया. इस बीच हर किसी के दिमाग में एक सवाल आ रहा है कि आखिर मुझे कोविड -19 वैक्सीन कब मिलेगी? यह समय टीकाकरण की वर्तमान गति को देखते हुए यह समय नॉन प्राइरिटी ग्रुप के लिए पांच साल से अधिक हो सकता है जो आपकी उम्र, राज्य और निवास की श्रेणी सहित कुछ मापदंडों पर निर्भर करता है.


शोधकर्ताओं के एक ग्रुप की ओर से डेवलप किए वैक्सीन इंडेक्स के अनुसार वर्तमान में उपलब्ध दो टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन से 1.3 अरब की आबादी का टीकाकरण करने में कई साल लग सकते हैं. अधिकांश राज्यों को उम्मीद है कि छह महीने के भीतर हेल्थ और फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण हो जाएगा.


हर्ड इम्युनिटी बनाने मे लगेंगे कई साल
शोधकर्ताओं के अनुसार "पूरी आबादी को टीका लगाना एक अलग बात है और अगर निकट भविष्य में चीजें नहीं बदलती हैं तो हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करने में पांच साल से ज्यादा समय भी लग सकता है" टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वैक्सीन क्यू कैलकुलेटर प्रोजेक्ट को वैज्ञानिक डॉमिनिक कजर्निया और डॉ. एलेक्जेंड्रा जाजैक और फरहान खान ने डिजाइन किया है.


कम समय में टीकाकरण बड़ी चुनौती
वर्तमान वैक्सीन रेट के हिसाब से महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु सहित कुछ राज्यों में तीसरे प्राथमिकता ग्रुप (50 साल या उससे कम उम्र के कॉमरेडिटी वाले लोग) का टीकाकरण करने में तीन से छह साल लग सकते हैं. कुल मिलाकर, वैक्सीन इंडेक्स के अनुसार, तीसरे प्राथमिकता ग्रुप का टीकाकरण कम समय सीमा में करने की एक बड़ी चुनौती है.खान ने कहा कि केंद्र बढ़ने, प्रति दिन टीकाकरण जैसी चीजों से इसमें सुधार होगा.


कम संक्रमण वाले ग्रामीण क्षेत्रों को बाद में किया जा सकता है कवर
वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में संक्रमण, ट्रांसमिशन रेट और टीकों की उपलब्धता की स्थिति अलग- अलग है. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के श्रीनाथ रेड्डी कहना है कि कई वर्षों का मॉडल तैयार करना होगा. यह संभव है कि कुछ महीनों में और टीके उपलब्ध हो सकते हैं. इसके साथ देश के कम विकसित राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसमिशन और गंभीर बीमारी की दर बहुत कम हो सकती है. उन्हें बाद में कवर किया जा सकता है. फिलहाल प्राइरिटी ग्रुप्स और जिलों पर संसाधनों को फोकस किया जा रहा है. भारत को हर्ड इम्युनिटी तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना है.


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