नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में कोरोना के आंकड़े कुछ कम तो हुए हैं लेकिन अभी भी लोगों में कोरोना की दहशत है. लोगों में कोरोना की दहशत इतनी है कि अपनों की अस्थियां लेने तक लोग श्मशान घाट नहीं पहुंच रहे हैं. इनमें से कुछ अस्थियां तो कई महीनों से रखी हैं जिनके अपने फ़ोन पर ही कह देते हैं कि वे अस्थियां नहीं ले सकते या कुछ तो फोन भी नहीं उठाते.
हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार के अगले दिन 'अपने' फूल उठाने पहुंचते हैं लेकिन सीमापुरी श्मशान घाट पर 800 कोविड मरीज़ों की अस्थियां कई दिनों से विसर्जित होने का इंतज़ार कर रही हैं और कई अस्थियां तो विसर्जित की जा चुकी हैं.
नॉन कोविड अस्थियां भी लावारिस
जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण के डर कर लोग कोरोना से जान गंवा बैठे मरीज़ों की अस्थियां लेने नहीं पहुंच रहे हैं. वहीं हैरानी की बात ये भी है कि ना केवल कोविड बल्कि नॉन कोविड अस्थियां भी लोग श्मशान घाट लेने नहीं पहुंच रहे हैं.
संस्था कर रही लावारिस अस्थियों को विसर्जित
श्मशान घाट की जिन लावारिस अस्थियों को उनके अपनों ने लेने से मना कर दिया, उनका विसर्जन एक संस्था शहीद भगत सिंह सेवा बल कर रही है. इस संस्था के अंतर्गत ही सीमापुरी का शमशान घाट भी आता है. यह संस्था लावारिस अस्थियों को भी ले जा कर विसर्जित कर रही है.
इस संस्था के जीत ज्योति का कहना है कि न केवल 800 कोविड वाली अस्थियां है बल्कि 80 के करीब नॉन कोविड की अस्थियां भी हैं जिनके अपनों ने उन्हें लावारिस ही छोड़ दिया. कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत से अब तक कई ऐसी अस्थियों का विसर्जन इस संस्था ने करवाया है. संस्था का कहना है उन्होंने कई बार फोन किया लेकिन लोगों ने आने से मना कर दिया.
अस्थियों को नहीं की यह हैं कुछ वजह
अस्थियों को नहीं ले जाने के पीछे लोगों के अंदर कोरोना से संक्रमित होने का डर है. वहीं, लॉकडाउन के चलते कई लोग अपने अपने शहरों में लौट गए. जबकि-कई लोग आर्थिक तंगी के चलते अस्थियां लेने नहीं पहुंचे.
अंतिम संस्कार के लिए फॉलो होती है सभी गाइडलाइंस
शहीद भगत सिंह सेवा बल के जीत ने ये भी बताया के अंतिम संस्कार के दौरान सभी तरह की सुरक्षा बरती जाती है. अंतिम संस्कार में जो अग्नि दी जाती है. उससे सारे कण नष्ट हो जातें हैं जिसके बाद अस्थियां भी हम रख कर सैनिटाइज करते हैं.
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