कोच्चिः लक्षद्वीप के निवासियों ने “जनविरोधी” कदम उठाने के मुद्दे पर प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को वापस बुलाने और एक मसौदा कानून को रद्द करने की मांग को लेकर पानी के भीतर विरोध प्रदर्शन किया और अपने घरों के बाहर 12 घंटे का अनशन किया. 


लडीएआर कानून का विरोध


प्रदर्शनकारियों ने “लक्षद्वीप फोरम बचाओ” के बैनर तले अरब सागर के भीतर और अपने घरों के बाहर “एलडीएआर कानून वापस लो” और “लक्षद्वीप के लिए न्याय” लिखी हुई तख्तियां प्रदर्शित की और सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा की.


लक्षद्वीप और केरल की विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि पटेल ने पशुओं के संरक्षण का हवाला देते हुए मुस्लिम बहुल द्वीपों पर शराब के सेवन से प्रतिबंध हटाने और गोमांस पर पाबंदी लगाने का निर्णय खुद ही ले लिया और तटरक्षक कानून के उल्लंघन का हवाला देकर तटीय इलाकों में बने मछुआरों के शेड तुड़वा दिए.


लक्षद्वीप प्रशासक कार्यालय पर हुआ विरोध प्रदर्शन


बीजेपी ने पटेल का बचाव किया है और कहा है कि पटेल ने विकास कार्य करने और स्थानीय नेताओं के भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए यह निर्णय लिए इसलिए उनका विरोध किया जा रहा है. कोच्चि में केरल से यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के सांसदों ने विरोध प्रदर्शन के समर्थन में लक्षद्वीप प्रशासक कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार की ओऱ से लाए गए “जनविरोधी” कानून को वापस लेने की मांग की.


लक्षद्वीप से आईयूएमएल के पूर्व सांसद हमदुल्लाह सईद ने पीटीआई-भाषा से कहा, “द्वीपवासियों ने आज शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया. लगभग सभी प्रतिष्ठान, दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान आज बंद रहे. द्वीप पर लगभग सभी ने प्रदर्शन में भाग लिया.”


केरल के सांसदों ने प्रदर्शन में लिया भाग


उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप का केरल से हर मामले में नजदीकी संबंध है और प्रशासक द्वीप को राज्य से अलग करना चाहते हैं. राहुल गांधी, के. मुरलीधरन, के. सुधाकरन, कोडिकुन्नील सुरेश, शशि थरूर, अडूर प्रकाश और एन. के. प्रेमचंद्रन को छोड़कर केरल के लगभग सभी सांसदों ने प्रदर्शन में भाग लिया.


 


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