Mental Health Experts on Social Media: आज जब भी कहीं कुछ घटित हो रहा होता है तो ज्यादातर लोग या तो मूक दर्शक बनकर खड़े रहते हैं या वीडियो बना रहे होते हैं. इसका ताजा उदाहरण हाल में देखने को मिला जब, दिल्ली के सुंदर नगरी इलाके में तीन लोगों ने एक युवक की चाकू घोंपकर हत्या कर दी और कई लोग इस घटना को देखते रहे और वीडियो बनाते रहे, उसकी मदद के लिए कोई नहीं आगे नहीं आया.
वहीं उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के एक गांव में एक युवती से सामूहिक बलात्कार किया गया, उसे निर्वस्त्र कर दो किलोमीटर तक घुमाया गया, लेकिन लोग उसकी मदद के लिए आगे नहीं आए बल्कि वीडियो बनाते रहे.
पीड़ितों की मदद न करने कारण
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (NIMHNS) में मनोविज्ञानी मनोज कुमार शर्मा इसे ‘बाईस्टैंडर इफेक्ट या बाईस्टैंडर उदासीनता’ बताते हैं. यह एक सामाजिक मनोवैज्ञानिक नियम है. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि इसके मुताबिक, जब अन्य लोग मौजूद होते हैं तो व्यक्ति का पीड़ितों को सहायता की पेशकश करने की संभावना कम होती है, क्योंकि वहां और लोग होते हैं, इसलिए व्यक्ति पर कुछ करने का ज्यादा दबाव नहीं होता है.
शर्मा ने कहा कि जब अन्य लोग प्रतिक्रिया नहीं देते हैं, तो व्यक्ति को अक्सर लगता है कि यह इस बात का संकेत है कि घटना को लेकर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है. ऐसी स्थिति में लोग क्या सही है यह तय करने के लिए अक्सर एक-दूसरे को देखते हैं.
वीडियो बनाने की खास वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर पहचान पाना और भयानक कामों का सीधे रूप से गवाह बनाने की चाह लोगों को पीड़ित की वीडियो बनाने के लिए प्रेरित करती है. फोरेंसिक मनोविज्ञान दीप्ति पुराणिक ने कहा है कि लोगों के पास स्मार्टफोन आसानी से उपलब्ध हैं जिससे वे वीडियो बनाते हैं और सोशल मीडिया पर अपलोड कर देते हैं ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा ‘लाइक्स’ मिले और वे फेमस हो जाएं. पुराणिक ने पीटीआई-भाषा से कहा, “लोगों के बीच में ज्यादा से ज्यादा ‘लाइक्स’ हासिल करने की होड़ मची है जिसके वजह से वे यह भूल चुके हैं कि सही क्या है और गलत क्या है?”
पीड़ित क्यों नहीं बोल पाते?
सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड करना भी पीड़िता को बोलने से रोकने का एक तरीका हो सकता है. विशेषज्ञों ने कहा, “तकनीकी तौर पर डेवलप होने के बाद अपराधियों के लिए यह आसान हो गया है. वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर पीड़ित से बदला लेते है. निश्चित रूप से अपराधियों के रोग संबंधी निशानी को दर्शाता है जिन्हें अपने कामों पर कोई पछतावा नहीं है.”
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