Twin Towers Demolition: कुछ दिन हवा में रह सकते हैं धूल के कण- ऐसे मरीजों के लिए हो सकता है खतरा, डॉक्टरों ने दिए ये सुझाव
Supertech Twin Towers Demolition: नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर को ढहाए जाने के बाद डक्टरों ने सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को कुछ दिन इलाके से दूर रहने की सलाह दी है.
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Supertech Twin Towers Demolition Post Effects: नोएडा (Noida) स्थित सुपरटेक (Supertech) के लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर (Twin Towers) को रविवार को जमींदोज किए जाने के बीच चिकित्सकों (Doctors) ने उसके आसपास रह रहे और सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों (People Suffering From Respiratory Illness) को अधिक सतर्क (Alert) रहने और संभव हो तो कुछ दिन इलाके से दूर रहने की सलाह दी है. ट्विन टावर को ध्वस्त करने से अनुमानित 80 हजार टन मलबा निकला है और विस्फोट के दौरान हवा में धूल का विशाल गुब्बार देखने को मिला.
चिकित्सकों का कहना है कि अधिकतर धूल कण का आकार पांच माइक्रोन या इससे कम है जो अनुकूल मौसमी परिस्थतियों जैसे तेज हवाएं और बारिश की अनुपस्थिति में कुछ दिन वातावरण में ही रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि धूलकण से हुए भारी प्रदूषण की वजह से आंखों, नाक और त्वचा में खुजली, खांसी, छींक, सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों में संक्रमण, नाक बंद होने, दमा और दिल की बीमारी की शिकायत हो सकती है.
सफदरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख ने यह सलाह दी
सफदरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर जुगल किशोर ने कहा, ‘‘हवा की गति कम होने की वजह से धूल कण कुछ समय तक हवा में ही रह सकते हैं. जो लोग श्वास समस्याओं जैसे कि दमा और ब्रोंकाइटिस का सामना कर रहे हैं, उन्हें संभव हो तो कुछ दिन उस इलाके में जाने से बचना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे लोगों को कम से कम 48 घंटे तक प्रभावित इलाके में जाने से बचना चाहिए. जो लोग आसपास के इलाके में रह रहे हैं, उन्हें कुछ दिन व्यायाम से बचना चाहिए.’’
एम्स के डॉक्टर ने यह कहा
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के ‘क्रिटिकल केयर’ के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर युद्धवीर सिंह ने कहा, ‘‘वातावरण में मौजूद 2.5 माइक्रोन से कम आकार के कण समस्या हैं. इससे खांसी, छींक, दमा की शिकायत, फेफड़ों में संक्रमण, नाक बंद होना और सांस लेने में समस्या के मामले बढ़ सकते हैं. वायरस के प्रसार में भी ये सूक्ष्म कण सहायक होते हैं और इससे संक्रमण दर बढ़ सकती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को एहतियात बरतने और दवाओं का बफर स्टॉक रखना चाहिए. जब तक प्रदूषक सतह पर बैठ नहीं जाते तब तक एन-95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए और चश्मा पहनना चाहिए. पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए और कुछ दिनों तक सुबह टहलने से बचना चाहिए. समस्या बढ़ने पर चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए.’’
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वायु गुणवत्ता प्रयोगशाला के पूर्व प्रमुख डॉक्टर दीपांकर साहा ने कहा कि जब तक मलबा हटाया नहीं जाता, तब तक नोएडा प्राधिकरण को सस्ते सेंसर की मदद से वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर रखनी चाहिए. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2021 में ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था. दोनों टावर को रविवार को 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल कर ध्वस्त कर दिया गया.
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