जयपुर: नागरिकता संशोधन बिल के पास होने के साथ ही पाकिस्तान से आए हजारों हिंदू शरणार्थी दो महीने के अंदर भारतीय नागरिकता हासिल कर लेंगे. इस बिल का सबसे ज्यादा फायदा राजस्थान आकर अलग-अलग जिलों में बसे लोगों को होगा. करीब दस जिलों में रह रहे इन लोगों की संख्या 50 हजार से भी ज्यादा है.
पाकिस्तान की सीमा से सटे जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में पाक से आए करीब 46 हजार लोग बरसों से इस दिन का इन्तजार कर रहे थे कि उन्हें भारतीय नागरिकता मिल सके. इन तीनों जिलों के अलावा बीकानेर, सिरोही, जयपुर, अजमेर, जालोर और पाली जिलों में भी छह हजार के करीब पाक से आए शरणार्थी बसे हुए हैं. इन लोगों में बड़ी तादाद उन लोगों की है जो तीस दिन के धार्मिक वीजा पर भारत आते तो थे लेकिन पाकिस्तान की जिल्लत भरी जिंदगी से तंग आकर वीजा अवधि पूरी होने के बाद भी वापस नहीं जाते थे. इन विस्थापित परिवारों में से कई तो तो ऐसे भी हैं जो करीब दस सालों से भारत में रह रहे हैं. कई ऐसे परिवार है जो पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं लेकिन उन्हें भी नागरिकता नहीं मिल सकी.
दरअसल अभी तक पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने वाली प्रक्रिया बेहद कठिन थी. इसके लिए 16 हजार की फीस के साथ 12 साल तक भारत में रहने के दस्तावेज देने पड़ते थे. कुछ साल पहले इस फीस को घटाकर 100 रुपये किया गया तो बड़ी संख्या में लोगों को इसका फायदा हुआ. इसी तरह अब भारत में रहने की अवधि को घटाकर छह साल कर दिया गया है. जिसकी वजह से अधिकांश पाक शरणार्थी अब भारतीय नागरिकता ले सकेंगे. राजस्थन में बसे सभी विस्थापितों के पास इस अवधि के दस्तावेज हैं. पाक के सिंध इलाके से आए ज्यादातर विस्थापित राजपूत, माली, जांगिड़, लुहार, मोची और कुम्हार जाति के हैं. इनके अलावा भील और मेघवाल समाज के लोग भी बड़ी संख्या में पाक छोड़कर भारत आकर रहने लगे थे. इन हिंदू विस्थापितों के अलावा पांच सौ से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं भी राज्य में है, जो यहां शादी करके बस गईं थीं.
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