देश में शुरू होगा हेल्थ आईडी सिस्टम, मरीज़ से लेकर डॉक्टर तक बनवा सकेंगे अपनी डिजिटल ID, पीएम जल्द कर सकते हैं शुरुआत
देश में आने वाले कुछ समय में लोगों को स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं के लिए एक डिजीटल माध्यम मिलेगा. इस डिजीटल हेल्थ आईडी के इस्तेमाल से लोग सभी स्वास्थ्य संबंधित जानकारी एक जगह पा सकेंगे.
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नई दिल्ली: भारत में जल्द ही लोगों को स्वास्थ्य सम्बंधित सभी सेवाओं के लिए एक डिजिटल माध्यम मिलेगा, जिसकी शुरुआत हर व्यक्ति के डिजिटल हेल्थ आईडी बनने से होगी. उम्मीद की जा रही है कि जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी शुरुआत करेंगे.
इसके लिए नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के अन्तर्गत नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन बनाया जाएगा. इस मिशन के जरिए जल्द लोगों के स्वास्थ्य की सभी जानकारी और सेवाओं के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा. वहीं हर किसी को एक हेल्थ आईडी दी जाएगी, जिसमें उस व्यक्ति से जुड़ी स्वास्थ्य की सभी जानकारी सीधे जुड़ सकेगी. उसकी उम्र से लेकर ब्लड ग्रुप, हेल्थ हिस्ट्री, मेडिकेशन, एलर्जी जैसी कई जानकारी होंगी. वहीं इस मिशन में डॉक्टर, हेल्थ फैसिलिटी, जैसे हॉस्पिटल, क्लीनिक लैब के लिए प्लेटफॉर्म भी होंगे.
एनडीएचएम के जरिए चार चीजों पर खास ध्यान दिया जाएगा:-
1- हेल्थ आईडी सिस्टम, जिसमें लोगो की हेल्थ आईडी बनाई जाएगी.
2- Digi डॉक्टर जिसमें सभी डॉक्टरों का यूनिक ID होगा और सभी जानकारी होगी.
3- हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री, जिससे सभी हॉस्पिटल, क्लीनिक, लैब जुड़ सकेंगे और यूनिक ID पा सकेंगे, साथ ही अपनी जानकारी अपडेट कर सकेंगे.
4- पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड, जहां पर लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी अपलोड या स्टोर तो कर ही सकेंगे, सीधे डॉक्टर और लैब इत्यादि से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सलाह पा सकेंगे.
हेल्थ आईडी और पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड सिस्टम के जरिए तमाम स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्राप्त की जा सकेंगी. हर व्यक्ति के लिए अलग अलग आईडी दी जाएगी, वहीं किसी के पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड बिना व्यक्ति के अनुमति के नहीं देखे जा सकेंगे.
इसके बाद टेलीमेडिसिन और ई फार्मेसी जैसी सुविधा शुरू करने की योजना होगी, लेकिन इसे शुरू करने से पहले इसके लिए नियम तैयार किए जाएंगे. इसलिए कुछ वक़्त बाद ये सेवा शुरू की जाएगी.
ये योजना पूरी तरह स्वैच्छिक होगी, यानी कोई बाध्यता नहीं होगी. पूरी तरह से वॉलंटरी बेसिस पर, जो लोग इसमें जुड़ना चाहते हैं वह जुड़ेंगे. सरकार का मानना है कि इस योजना से मरीज़ को अच्छी सुविधा मिलेगी, डॉक्टर को सही ट्रीटमेंट देने में मदद मिलेगी और पूरा डाटा इकट्ठा होगा. उस डाटा से सरकार को यह भी पता चलेगा कि कहां पर किस प्रकार की सुविधाओं की आवश्यकता है. साथ ही वहां पर किस तरह की नीतियां अपनाएं, जिससे वहां स्वास्थ्य में बेहतरी लाई जा सके.
इस नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन पर नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के सीईओ डॉ. इंदु भूषण से एबीपी न्यूज़ ने बातचीत कर कुछ सवाल पूछे:-
सवाल: क्या है यह हेल्थ आईडी स्कीम और कब से लागू होगी?
जवाब: पहली बात तो ये कि यह स्कीम क्यों शुरू की जा रही है, तो आप देखते होंगे कि जब कभी हम अस्पताल जाते हैं या डॉक्टर के पास जाते हैं. एक फाइल बगल में दबाकर ले जाते हैं, उसमें कुछ पुराने रिकॉर्ड होते हैं, कुछ नहीं होते. डॉक्टर को फिर जो चिकित्सा करनी होती है वह अंदाज़ के आधार पर करनी होती है, क्योंकि उसे पता नहीं कि पहले आपका क्या ट्रीटमेंट हुआ है. या किस प्रकार की दवाइयां आपको सूट नहीं करती. इसका पूरा परा उद्देश्य है हम हर एक व्यक्ति को एक आईडी दें और उसका जहां-जहां भी इलाज हुआ है या जहां भी उन्होंने हेल्थ से संबंध कोई काम किया है. जांच हुई है, टीका लगा है. वह एक जगह उपलब्ध हो सके. इसके लिए हेल्थ आईडी जरूरी है, क्योंकि आप एक अस्पताल में गए एक लैब में गए. कहीं आपने टीका लगया. उन सब को जोड़ने के लिए उस आईडी की आवश्यकता है. वह हम सब को देंगे.
व्यक्ति इस पूरे मिशन के केंद्र में है. उसके कंसेंट के आधार पर ही उन रिकॉर्ड्स को वह देख सकता है और यह जितने रिकॉर्ड होंगे वह डिजिटल होंगे.
हर एक डॉक्टर और हर अस्पताल का एक आईडी हो, जिससे कि हम अस्पतालों को भी देख सकें कि कहां से रिकॉर्ड लेना है. साथ ही डॉक्टर की पहचान अच्छी तरह से हो सके. वह सत्यापित डॉक्टर है, असली डॉक्टर हैं और उनकी क्या क्वालिफिकेशन है. डॉक्टर की भी आईडी बनेगी.
जब यह पूरा ढांचा तैयार हो जाएगा उसके आधार पर भविष्य के लिए टेलीमेडिसिन और ई फार्मेसी यह सब भी लागू होंगे. तो यह बहुत बड़ा दूरगामी प्रोजेक्ट है. इसे बनाने में टाइम लगेगा, लेकिन जब भी पूरा हो जाएगा, तो जो हमारी चिकित्सा है उसकी गुणवत्ता में बहुत अधिक वृद्धि होगी.
सवाल: क्या सबको बनाना अनिवार्य होगा?
जवाब: यह पूरी तरह से वॉलंटरी बेसिस पर है, जो लोग इसमें जुड़ना चाहते हैं, वह जुड़ेंगे. इसमें किसी प्रकार का कंपल्शन नहीं है. जैसे उदाहरण के तौर पर कोई ऐसा कानून नहीं कि सेल फोन रखें, लेकिन लोगों के पास सेलफोन होता है और लोगों को पता है उससे क्या फायदा होता है. उसी प्रकार इस योजना और इको सिस्टम से जुड़ने में सभी का फायदा होगा. मरीज को अच्छी सुविधा मिलेगी. डॉक्टर को अच्छी ट्रीटमेंट देने में मदद मिलेगी और पूरा डाटा इकट्ठा होगा. उस डाटा से सरकार को यह भी पता चलेगा कि कहां पर किस प्रकार की सुविधाओं कि आवश्यकता है और वहां पर किस तरह की नीतियां अपनाएं जिससे वहां स्वास्थ्य में अच्छी बढ़ोतरी हो.
सवाल: इसके लिए कोई खास प्लेटफॉर्म होगा और कैसे करेंगे काम?
जवाब: यह आधार कार्ड की तरह ही एक सिस्टम होगा एक प्लेटफार्म हम बना रहे हैं. नेशनल हेल्थ अथॉरिटी को उसको ब्लॉक करने की जिम्मेदारी दी गई है तो इस पर जोर शोर से काम कर रहे हैं. जल्द इसका प्रारूप सामने आएगा.
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