निर्भया को इंसाफ: मां-बाप से लेकर सीएम योगी तक जानें किसने क्या कहा?
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नई दिल्ली: निर्भया को सुप्रीम कोर्ट से आज इंसाफ मिल गया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के चारों गुनहगारों की फांसी की सजा बरकरार रखी है. फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप को ‘सुनामी ऑफ शॉक’ करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट से पहले निचली अदालत और हाई कोर्ट ने दोषियों को फांसी को फांसी की सज़ा दी थी.
यहां जानें किसने क्या कहा ?
निर्भया की मां- फैसला आने के बाद निर्भया की मां ने कहा, ‘’मैं कोर्ट और सभी साथ देने वालों को धन्यवाद देती हूं. मैं सिर्फ यह कह सकतीं हूं कि भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं. इस तरह के अपराध अब ना हों. इस तरह के अपराधों के खिलाफ हम लड़ते रहेंगे.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘’आज सिर्फ मेरी बेटी को ही नहीं बल्कि देश की सभी बेटियों को न्याय मिला है.’’
निर्भया के पिता- निर्भया के पिता ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, ‘’निर्भया को न्याय पूरे समाज को न्याय है, हमें सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद थी. आज के फैसले के बाद हम खुश हैं, जनता और मीडिया का धन्यवाद करते हैं. अब कोई गिला नहीं है.’’
यूपी के सीएम योगी- ''निर्भया कांड के चारों दोषियों की फांसी की सज़ा बरक़रार रखने के माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले का हम स्वागत करते हैं.''Der lagi zarur lekin nyaay mila, ab koi gila nahi hai: Badri Singh, #Nirbhaya's father pic.twitter.com/3DBkDlCcxZ
— ANI (@ANI_news) May 5, 2017
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद- देश के कानून के राज के लिए बहुत बड़ा दिन है. जो फैसला किया गया है मैं उससे बहुत सुकून महसूस कर रहा हूं.''निर्भया कांड के चारों दोषियों की फाँसी की सज़ा बरक़रार रखने के माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले का हम स्वागत करते हैं।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 5, 2017
आप नेता कुमार विश्वास- ‘’बहन निर्भया हम शर्मिंदा हैं कि हम सबके रहते ऐसा हुआ. ईश्वर तुम्हारी आत्मा को संतोष दे कि निर्मम गुनाहगारों को आख़िर उचित सज़ा मिली”Desh ke kanoon ke raaj ke liye bahut bada din hai.Jo nirnay kiya gaya hai mai usse bahut sukoon mehsus kar raha hoon-Union Law Min RS Prasad pic.twitter.com/9QkRfqnJEn
— ANI (@ANI_news) May 5, 2017
बहन #Nirbhaya हम शर्मिंदा हैं कि हम सबके रहते ऐसा हुआ। ईश्वर तुम्हारी आत्मा को संतोष दे कि निर्मम गुनाहगारों को आख़िर उचित सज़ा मिली। ???? — Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) May 5, 2017कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला- ‘’एक लंबे अरसे के बाद निर्भया केस में भारत की न्यायपालिका ने न्याय को अंजाम दिया है. हमें विश्वास है कि न्यायपालिका के इस स्पष्ट और सटीक संदेश के साथ वो सभी बलात्कारी जो हमारी बहन बेटियों की इज्जत के साथ खेलने की कोशिश करते हैं, उनपर रोक भी लगेगी और उनको एक सीख भी मिलेगी.’’ केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी- ‘’मुझे लगता है कि इस मामले में फैसला और जल्दी आना चाहिए था. लेकिन जो भी फैसला आया है, वह स्वागत योग्य है.’’
I am happy that the verdict has been upheld though I wish it had come sooner: Maneka Gandhi,Union Minister #Nirbhaya pic.twitter.com/Jiv3zM8Bg9 — ANI (@ANI_news) May 5, 2017
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल- ‘’ये जो जीत है सिर्फ निर्भया और उसके परिवार की जीत नहीं है. ये पूरे देश की और सभी निर्भयाओं की जीत है. दिल्ली महिला आयोग इस फैसला का पूरी तरह से स्वागत करता है. इस फैसले से सभी निर्भयाओं को शक्ति मिली है.’’
समाजसेवी रंजना कुमारी- ‘’आज लग रहा है कि निर्भया के लिए हमारा संघर्ष सफल रहा, ये एक ऐतिहासिक फैसला है. मैं फैसले से बहुत खुश हूं.’’
दिल्ली पुलिस के सीपी दीपेंद्र पाठक- मैं मानता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से इसका अच्छा संदेश समाज में जाएगा. इस फैसले के बाद कोई भी इस तरह का अपराध करने की बात दोबार नहीं सोचेगा.
16 दिसंबर 2012 को हुआ क्या था?
16 दिसंबर 2012 को 23 साल की फिजियोथेरेपी छात्रा निर्भया अपने एक दोस्त के साथ फिल्म लाइफ ऑफ़ पाई देखने गई. रात साढ़े 9 बजे वो दिल्ली के मुनिरका में एक चार्टर बस में सवार हुई. बस में सवार ड्राइवर समेत 6 लोग दरअसल मौज-मस्ती के इरादे से निकले थे. उन्होंने चलती बस में निर्भया का गैंगरेप किया और उसके दोस्त की जमकर पिटाई की.
गैंगरेप के दौरान निर्भया के साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव किया. उसके गुप्तांग में लोहे का सरिया तक डाला गया. जिससे उसकी आंत बाहर निकल आई थी. अस्पताल में दो हफ्ते इलाज के बाद भी निर्भया को बचाया नहीं जा सका. और आखिरकार 29 दिसंबर 2012 को उसकी मौत हो गयी थी.
इससे पहले कोर्ट कार्यवाही में क्या हुआ?
इस मामले में निचली अदालत ने 10 सितंबर 2013 को फैसला सुनाया था. उसने चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय फांसी की सजा दी थी. इन चारों को बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार, डकैती और हत्या का दोषी माना गया.
13 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस सज़ा को बरकरार रखा था. इस मामले में कुल 6 आरोपी थे. एक आरोपी राम सिंह की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी. जबकि एक आरोपी नाबालिग था. इसलिए, उसे बाल सुधार गृह भेजा गया. वो तीन साल सुधार गृह में बिताकर रिहा हो चुका है.
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