कोरोना के खिलाफ लड़ाई हुई कमजोर, वैक्सीन की कमी के चलते रोजाना के वैक्सीनेशन में 35% की कमी
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राहत की बात है कि महामारी में लगातार कमी आ रही है और लगातार दूसरे हफ्ते इसमें कमी देखी जा रही है. 23 मई को खत्म हुए सप्ताह में इसमें 22 फीसदी की कमी आई, जबिक उसके पिछले हफ्ते 15 फीसदी की कमी आई थी.
टीकाकरण में कुप्रबंधन और कमी के बीच रोजाना टीकाकरण 23 मई को घटकर प्रति दस लाख की आबादी पर 980 रह गया था, जबकि एक हफ्ते पहले प्रति दस लाख की आबादी पर यह 1455 था. वहीं विश्व स्तर पर दस लाख की आबादी पर यह औसतन 3564 है. यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है.
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राहत की बात है कि महामारी में लगातार कमी आ रही है और लगातार दूसरे हफ्ते इसमें कमी देखी जा रही है. 23 मई को खत्म हुए सप्ताह में इसमें 22 फीसदी की कमी आई, जबिक उसके पिछले हफ्ते 15 फीसदी की कमी आई थी.
इसका मतलब है कि संक्रमण छह मई को अपने चरम को पार कर चुका था, जब देश में 4.14 लाख मामले आए थे. रोजाना नए मामले अब औसतन ढाई लाख आ रहे हैं जो 16 मई को समाप्त हुए हफ्ते में संक्रमण के मामलों की संख्या 3.3 लाख थी.
रिपोर्ट में बताया गया कि टीके की उपलब्धता की राष्ट्रीय स्तर पर कमी के कारण टीकाकरण भी 23 मई तक कम हुआ है और रोजाना टीकाकरण प्रति दस लाख की आबादी पर कम होकर 980 रह गया है, जबकि उससे एक हफ्ते पहले यह प्रति दस लाख की आबादी पर 1455 था. यह 35 फीसदी से ज्यादा की कमी है. वैश्विक स्तर पर टीकाकरण का औसत प्रति दस लाख की आबादी पर 3564 है.
महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली ने अपनी आबादी के संबंधित समूहों में सबसे ज्यादा टीकाकरण किया है, लेकिन मई में इन राज्यों में भी टीकाकरण की गति धीमी पड़ी है. टीके की उपलब्धता में समय लगने के कारण टीकाकरण की रफ्तार और धीमी पड़ने की संभावना है.
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