G20 Summit India: जी-20 शिखर सम्मेलन शनिवार (9 सितंबर) से दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में शुरू हो चुका है. यह सम्मेलन रविवार (10 सितंबर) को खत्म होगा. दुनियाभर के तमाम देशों के राष्ट्र प्रमुख और प्रतिनिधि इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आए हैं. भारत पहली बार इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. 


सम्मेलन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत भाषण के साथ हुई. पीएम मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "कोविड-19 के बाद विश्व में एक बहुत बड़ा संकट विश्वास के अभाव का आया है. जब हम कोविड को हरा सकते हैं तो हम आपसी विश्वास में आए इस संकट पर भी जीत हासिल कर सकते हैं. यह हम सबका साथ चलने का समय है. इसलिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का मंत्र हम सबके लिए मार्ग दर्शक बन सकता है."


G20 समिट के सात बड़े फैसले
दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के पहले दिन नई दिल्ली डिक्लेरेशन को मंजूरी दी गई. डिक्लेरेशन को 100 प्रतिशत सहमति मिली है. इस दौरान कई अहम फैसले भी लिए गए. इनमें अफ्रीकन यूनियन को G20 में शामिल करना, रूस-यूक्रेन की ग्रेन डील और यूक्रेन में लंबी अवधि की शांति बहाल करना शामिल हैं.


1- अफ्रीकी यूनियन (AU) को G20 में शामिल कर लिया गया है. इसके साथ ही अफ्रीकी संघ शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के समूह जी20 का स्थायी सदस्य बन गया है.  


2- शिखर सम्मेलन में दिल्ली का ज्वाइंट डिक्लेरेशन भी जारी कर दिया गया. इससे पहले शुक्रवार (8 सितंबर) को चीन की ओर से कुछ बिंदुओं पर असहमति जताई जा रही थी, खासतौर से यूक्रेन के मामले पर. हालांकि शनिवार को ज्वाइंट डिक्लेरेशन जारी कर दिया गया है.


3- चूंकि अफ्रीकी यूनियन को जी20 में स्थायी सदस्यता मिली है, इसलिए ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि जी-20 का नाम भी बदलता जा सकता है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक G20 का नाम बदलकर G-21 किया जा सकता है.


4- शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए सभी देशों के नेताओं ने एक स्वर में कहा कि यह युद्ध का युग नहीं और इससे दुनियाभर के लोगों पर असर पड़ता है.


5- G20 समिट के घोषणा पत्र में कहा गया है जी 20 अंतराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, न कि जियो-पॉलिटिक्स के समाधान का. 


6- इतना ही नहीं जी 20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन के ग्रेन डील को फिर से शुरू करने की अपील की गई. 


7- रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को लेकर सम्मेलन में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के नियमों के आधार पर बातचीत की कोशिश की जाए, ताकि यूक्रेन में लंबी अवधि के लिए शांति बहाल हो सके.


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