Mumbai Pocso Case: मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडे (Sanjay Pandey) ने एक बड़ा फ़ैसला करते हुए कहा है अब से पोक्सो या मोलेस्टेशन (Molestation) के मामलों को दर्ज करने से पहले DCP दर्जे के अधिकारी की इजाज़त लेनी होगी. कमिश्नर संजय पांडे ने हाल ही में एक आदेश जारी करते हुए कहा कि ऐसा देखने को मिला है की पुराने झगड़ों के कारण, प्रोपर्टी विवाद के कारण, या किसी और आपसी रंजिश के चलते पुलिस स्टेशन में पोक्सो या मोलेस्टेशन (Molestation) की शिकायत दर्ज कराई जाती है. ऐसे में आगे चलकर कई बार आरोपी निर्दोष पाया जाता है पर तब तक बहुत देर हो जुकी होती है. ऐसे मामलों  में तबतक आरोपी की बहुत बदनामी हो जाती है. 

इसी वजह से कमिश्नर (Commissioner) संजय पांडे (Sanjay Pandey) ने आदेश जारी करते हुए कहा आगे से जो भी इस तरह की शिकायत आएगी पहले ACP उसे देखेगा और फिर फ़ायनल आदेश DCP देगा तब जाकर मामला दर्ज किया जाना चाहिए. आपको बता दें कि पोक्सो एक्ट 2012 में लाया गाया था. सुप्रीम कोर्ट ने साक्षी केस (Sakshi vs. Union of India) में बाल यौन शोषण से निपटने के लिए आईपीसी (IPC) की अपर्याप्तता के कारण इस पर प्रकाश डाला गया था. जब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के खिलाफ अपराध विधेयक का मसौदा परिचालित किया (2009) तब शुरू हुई कानून बनाने की प्रक्रिया जो अंत में POCSO अधिनियम का रुप बन गई. 


POCSO के हो रहे गलत उपयोग के कारण मुंबई पुलिस कमिश्नर( Police Commissioner) संजय पांडे (Sanjay Pandey) ने यह फैसला लिया है उन्होने बताया कि लोग इसका गलत इस्तेमाल कर निर्दोष लोगों को फसाने के लिए कर रहे हैं जिससे उनके जीवन पर गलत असर पड़ता है और उनकी बहुत बदनामी भी होती है. आगे से किसी के साथ ऐसा ना हो इस लिए यह फैसला किया गया है. अब यदि ऐसा कोई भी मामला आयेगा तो सबसे पहले पुलिस के अवसर को अपने ACP के पास जाना होगा और उसके बाद अंतिम फैसला DCP को लेना होगा कि मामला दर्ज होगा कि नही.