बेंगलुरुः देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड कम पड़ने लगे हैं. वहीं, उत्तरी बेंगलुरु में सरकार की ओर संचालित केसी जनरल अस्पताल 45 बेड वाले आईसीयू में गंभीर रूप से बीमार कोविड रोगियों के परिजनों को उनकी एक झलक देखने अनुमति दी गई है. प्रतिदिन शाम 5 बजे के लगभग एक बड़ी कांच की खिड़की पर रखी सीसीटीवी स्क्रीन के जरिए परिजन, मरीजों को देख सकते हैं और इसी समय, खिड़की के बाहर रखे एक कैमरा के जरिए आईसीयू में भर्ती मरीज अपने रिश्तेदारों को देख सकते हैं.


अस्पताल में भर्ती एक मरीज के रिश्तेदार बाला के मुताबिक, “हम एक निजी अस्पताल में थे और प्रति दिन 60,000 रुपये का भुगतान कर रहे थे. हमें यह आईसीयू सुविधा तीन दिन पहले मिली थी. यहां पर दूसरे अस्पतालों के विपरीत हमें अपने पेशेंट को डेली बेसिस पर देखने की अनुमति है और यह परिवार के लिए एक राहत है. ” लगभग हर कोई जो खिड़की के पास जाता है, एक फोटो या वीडियो लेता है और उसे दोस्तों और परिवार के पास भेजता है.
 
आईसीयू बेड और आईसीयू वेंटिलेटर बेड की सबसे ज्यादा मांग 
 कोरोना की दूसरी लहर से कोरोना संकट के बीच आईसीयू बेड और आईसीयू वेंटिलेटर बेड मांग सबसे ज्यादा हो रही है. यहां तक कि यह सुविधा टॉप अधिकारियों की पहुंच से भी बाहर हो रही है. जबकि कोरोना की पहली लहर में सरकारी अस्पतालों को पीएम-केयर्स के तहत 25 वेंटिलेटर दिए गए थे. एक ड्यूटी डॉक्टर के अनुसार,  “आईसीयू मरीजों से लगभग भरे हुए हैं. कुछ बेड उपलब्ध हैं, लेकिन हमें अन्य कोविड वार्डों में भर्ती अपने मरीजों की उनकी हालत बिगड़ने की स्थिति के लिए इन्हें ब्लॉक रखने की जरूरत है. ” 


पिछले साल कोविड के मामलों में कमी होने के बाद वेंटिलेटर का नहीं हुआ उपयोग
नवंबर 2020 में कोविड के मामलों में कमी के बाद बेंगलुरु के दूसरे सरकारी अस्पतालों ने पीएम-केयर्स के मिले वेंटिलेटर का इस्तेमाल बड़ी संख्या में नहीं किया.  इसके परिणामस्वरूप अप्रैल के दूसरे सप्ताह से बेंगलुरु में आईसीयू बेड और आईसीयू वेंटिलेटर बेड की कमी हो गई, जब औसतन 15,000 से अधिक मामलों सामने आने लगे. अब राज्य सरकार सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड और आईसीयू वेंटिलेटर बेड की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर  रही है. 


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