नई दिल्ली: देश में कोविड के बिगड़ते हालात पर आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. कोर्ट ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एक स्पष्ट राष्ट्रीय योजना की ज़रूरत बताई है. केंद्र सरकार से 4 बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जिन 4 बिंदुओं (ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति, वैक्सिनेशन का तरीका किस तरह का हो और राज्य में लॉकडाउन का फैसला कौन ले? क्या हाई कोर्ट भी ऐसा आदेश दे सकता है?) पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. कोर्ट में सुनवाई दोपहर 12.15 बजे होगी.
23 अप्रैल को मामले की पिछली सुनवाई के दौरान जज खास तौर पर इस बात पर खिन्न नजर आए कि दो दिनों सुप्रीम कोर्ट की मंशा को लेकर वरिष्ठ वकील और तमाम लोगों ने तरह-तरह के आरोप लगाए हैं.
मामले में एमिकस क्यूरी बनाए गए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने भी इस तरह के आरोपों पर दुख जताते हुए अपने आप को इस दायित्व से अलग कर दिया. सुनवाई के अंत में जजों ने वकील अनुराधा दत्त को हरीश साल्वे की जगह एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया.
पिछली सुनवाई के दौरान पूर्व चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भाट ने कई बार यह कहा कि उनका इरादा किसी हाई कोर्ट को सुनवाई से रोकने का बिल्कुल नहीं था. उनकी कोशिश सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक दवाइयों और उपकरणों के उत्पादन और आवागमन में आ रही दिक्कत को आसान बनाने की है. लेकिन लोगों ने बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश को समझे तरह तरह की टिप्पणी करनी शुरू कर दी. जजों ने इस बात पर अफसोस जताया कि ऐसा करने वालों में वरिष्ठ वकील भी शामिल थे. पूर्व चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के कार्यकाल का यह आखिरी दिन था.
न्यायालय ने मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुये बृहस्पतिवार को टिप्पणी की थी कि वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन को एक "आवश्यक हिस्सा" कहा जाता है और ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ हद तक ‘घबराहट’ पैदा हुयी जिसके कारण लोगों ने कई उच्च न्यायालयों से संपर्क किया है.