Pervez Musharraf News: पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) साल 2001 में तीन दिनों के लिए भारत-पाक शिखर सम्मेलन (Indo-Pak Summit) के लिए आगरा में रहे थे. उस दौरान परवेज मुशर्रफ अपनी पत्नी के साथ ताजमहल देखने गए थे. मुशर्रफ आगरा के बाद सीधे अजमेर जाने वाले थे, लेकिन उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया था.


दरअसल, आगरा शिखर सम्मेलन अनिर्णायक रहा. हालांकि, मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री वाजपेयी के साथ 90 मिनट की सीधी बातचीत की. यह एक ऐसी शिखर वार्ता बन गई जिसमें कोई घोषणापत्र जारी नहीं किया गया और मुशर्रफ बिना कोई निर्णय लिए पाकिस्तान लौट गए.


इसी वजह से रद्द हुआ था अजमेर दौरा


शिखर सम्मेलन के बाद मुशर्रफ और उनकी पत्नी अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जाने वाले थे, लेकिन बातचीत के विफल होने के बाद उस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया. हालांकि, उनकी पत्नी फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर गईं.


आखिर क्यों फेल हुई बातचीत?


सामाजिक कार्यकर्ता विजय उपाध्याय ने इंडिया टुडे टीवी को बताया कि जुलाई 2001 में दुनिया की निगाहें आगरा समिट के नतीजे पर टिकी थीं और दुनिया की मीडिया आगरा में डेरा डाले हुए थी. ऐसे में जब शिखर सम्मेलन के नतीजे आने से पहले ही तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रोटोकॉल तोड़ा और प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो कयास लगाए जाने लगे कि इसकी प्रतिक्रिया पाकिस्तानी खेमे की ओर से भी आएगी. 


पाकिस्तान ने इस पर प्रतिक्रिया दी. शिखर सम्मेलन के परिणाम की परवाह किए बिना परवेज मुशर्रफ ने सभी वरिष्ठ संपादकों के साथ एक बैठक आयोजित की, जिसके बाद शिखर सम्मेलन अनिर्णायक रूप से समाप्त हो गया. इस बातचीत से पहले परवेज मुशर्रफ और उनकी पत्नी ने ताजमहल में तस्वीरें खिंचवाई थीं.


इस वजह से हुआ था मुशर्रफ के सामने विरोध प्रदर्शन


बता दें कि आगरा में मुशर्रफ के सामने पाकिस्तानी जेलों में बंद युद्धबंदियों के परिवारों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इस बारे में जब मीडिया ने मुशर्रफ से सवाल किया तो पाकिस्तानी राष्ट्रपति काफी असहज नजर आए. मुशर्रफ ने थोड़ा संयम बरतते हुए मीडिया से कहा कि वह खुद एक फौजी हैं और जवानों के परिवारों की दिक्कतों को समझते हैं. बता दें कि उन दिनों पाकिस्तान की जेलों में 54 भारतीय युद्धबंदी थे.


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