Pervez Musharraf: जब दाऊद का नाम सुनकर उड़ा मुशर्रफ के चेहरे का रंग, जानिए क्यों फेल हुई थी अटल के साथ आगरा शिखर बैठक
Pervez Musharraf Death: पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति रहते हुए परवेज मुशर्रफ ने साल 2001 में भारत यात्रा की थी. उनके साथ उनकी पत्नी भी भारत आईं थीं. इस दौरान दोनों ताजमहल भी गए थे.
Pervez Musharraf India Visit: परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे थे. 2001 वही साल है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और तत्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ के बीच आगरा में शिखर बैठक हुई थी. लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने इस पूरी बैठक की योजना तैयार की थी. लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि यह पूरी बैठक एक ही झटके में फेल हो गई थी. चलिए आपको बताते हैं क्या है पूरी कहानी.
दरअसल, एक रोज अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और जसवंत सिंह एक साथ बैठकर लंच कर रहे थे और इतने में तीनों के बीच पाकिस्तान को लेकर चर्चा होने लगी. चर्चा इतनी बढ़ गई कि लालकृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भारत यात्रा पर बुलाने की बात छेड़ थी. तब ही यह योजना शुरू हुई और इस तरह साल 2001,15-16 जुलाई को वह अपनी पत्नी के साथ भारत पहुंचे.
प्रत्यर्पण संधि से बिगड़ा खेल
दरअसल, प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaties) के मुद्दे को लेकर ही यह किस्सा याद किया जाता है. आडवाणी ने मुशर्रफ के आगे भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यर्पण संधि करने का प्रस्ताव रखा था. उनका कहना था कि इससे दोनों देशों को देश में छिपे अपराधियों को पकड़ने में कामयाबी मिलेगी. मुशर्रफ जैसे ही हामी भरते तो आडवाणी ने दाऊद इब्राहिम का नाम ले लिया और यह नाम सुनते ही चेहरे का रंग भी उड़ गया.
इस तरह फैल हुई बैठक
आडवाणी ने कहा था कि औपचारिक रूप से इस संधि को लागू करने से पहले पाकिस्तान को 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) को भारत के हवाले करना होगा. इतना कहते ही मुशर्रफ बोल पड़े की वह चालाकी समझ चुके हैं लेकिन दाऊद पाकिस्तान में नहीं है. इस पूरी बातचीत के बाद पहले ही कयास लगाए जा रहे थे कि शिखर बैठक भी फेल होगी और ऐसा ही हुआ. हालांकि, बैठक जरूर हुई लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला.
खाली हाथ लौटे थे मुशर्रफ
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और परवेज मुशर्रफ हुई इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला. पाकिस्तान किसी भी मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं था. इसी वजह से पाक के राष्ट्रपति को खाली हाथ पाकिस्तान लौटना पड़ा था. 2001 में हुई यह बैठक काफी सुर्खियों में रही थी. भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने कोशिशों में आज भी इस बैठक का जिक्र किया जाता है.