सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर होंगी धर्मांतरण कानूनों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं, केंद्र और 6 राज्यों से मांगा जवाब
Conversion Laws Petitions: धर्मांतरण कानूनों के विरोध में देश भर के अलग-अलग 6 हाई कोर्ट (High Court) में कुल 21 अर्जी पेंडिंग है. अब इन मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाना है.
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Supreme Court On Conversion Laws: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्य की तरफ से दायर धर्म परिवर्तन कानूनों (Religious Conversion Laws) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ट्रांसफर करने के लिए सहमत हो गया है. मामले में अगली सुनवाई अब तीन हफ्तों के बाद होगी. इससे पहले केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर सभी याचिकों को साथ लाकर सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए कहा गया है.
भारत के चीफ जस्टिस (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक जनरल ट्रांसफर याचिका पर केंद्र और छह संबधित राज्य सरकारों से जवाब भी मांगा है. पीठ का कहना है कि उन याचिकाओं में नोटिस जारी करें, जिनमें स्थानांतरण याचिका सहित अब तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है. जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है. इस पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल थे.
किन राज्यों को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने 'धर्मांतरण विरोधी' कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पांच राज्यों छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा और झारखंड को नोटिस जारी किया है. इससे पहले चार अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश को नोटिस जारी किया गया था. इससे पहले याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से दलील दी गई थी कि राज्यों ने जो कानून बनाए हैं, उस कारण स्थिति बहुत गंभीर हो गई है. जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से भी अर्जी दाखिल कर हाई कोर्ट में पेंडिंग केस सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की गुहार लगाई गई थी.
अलग-अलग 6 हाई कोर्ट में याचिका दर्ज
'धर्मांतरण विरोधी' कानूनों के खिलाफ मामला मूल रूप से दिसंबर 2019 में दायर किया गया था. तब से दो राज्यों अधिनियम भी पेश किए हैं और पांच और राज्यों ने ऐसे कानून लाए हैं. पहले भी सुप्रीम कोर्ट नवंबर 2022 में इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया था. हालांकि, सुनवाई नहीं हो सकी थी. इस मामले में देश भर के अलग-अलग 6 हाई कोर्ट में कुल 21 अर्जी पेंडिंग है. इन सभी अर्जियों में राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानून को चुनौती दी गई है.
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