नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा में स्वीकार किया है कि टैक्स से वो प्रति लीटर पेट्रोल पर लगभग 33 रूपये की और डीज़ल पर 32 रूपये की कमाई कर रही है. कमाई की ये दर मई 2020 से अब तक बनी हुई है. सरकार ने ये भी बताया कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने का अभी कोई प्रपोज़ल नहीं है.


फ़्यूल से ये बढ़ा हुआ रेवेन्यू केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी, सेस और सरचार्ज से कमा रही है


सरकार ने बताया कि 6 मई 2020 से प्रति लीटर पेट्रोल पर 33 रुपये और डीज़ल पर 32 रुपये की अर्निंग सेंट्रल एक्साइज़ ड्यूटी ( बेसिक एक्साइज ड्यूटी, सेस और सरचार्ज ) से हो रही है. पेट्रोल और डीज़ल पर केंद्र के इस टैक्स के अलावा अलग-अलग राज्यों में वैट भी लगता है.


पीरियड 1- 1 जनवरी 2020 से 13 मार्च 2020 के बीच केंद्र को 20 रुपये पेट्रोल से और 16 रुपये डीज़ल से मिलते थे.


पीरियड 2- 14 मार्च 2020 से 5 मई 2020 के बीच केंद्र सरकार पेट्रोल पर 23 रुपये और डीज़ल पर 19 रुपये कमा रही थी.


सरकार का बढ़ा हुआ मुनाफ़ा


यानी 1 जनवरी 2020 के मुक़ाबले साल के आख़िरी दिन, 31 दिसम्बर 2020 को सरकार को प्रति लीटर पेट्रोल पर 13 रुपये अधिक मिल रहे थे और डीज़ल पर 16 रुपये अधिक मिल रहे थे. आज की तारीख़ में यही स्थिति बरकरार है.


लोकसभा में सरकार की सफ़ाई


एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में बताया, "अन्य देशों की तुलना में हमारे यहां पेट्रोलियम पदार्थों के दाम अधिक या कम होते हैं, क्योंकि इसके पीछे कई वजहें एक साथ काम कर रही होती हैं, जैसे मौजूदा टैक्स व्यवस्था और राज्यों द्वारा दिए जाने वाले सब्सिडी कंपनशेशन." हालांकि सरकार ने इस सब्सिडी के बारे में विस्तार से नहीं बताया. अनुराग ठाकुर ने बढ़े हुए पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर सफ़ाई देते हुए कहा कि देश की मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए साथ ही इंफ़्रास्ट्रक्चर और विकास के कामों को देखते हुए एक्साइज ड्यूटी का निर्धारण किया गया है.


पेट्रोल के दामों का पांच राज्यों में हो रहे चुनावों से सम्बंध


सरकार ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि ऑईल कम्पनियों ने दो हफ़्तों से पेट्रोल-डीज़ल के दाम क्यों नहीं बदले, जबकि ये दाम ग्लोबल क्रूड प्राइज़ से जुड़े होते हैं. पेट्रोल-डीज़ल के दाम पिछली बार 27 फ़रवरी 2021 को बदले थे, जब पेट्रोल के दाम में 24 पैसे और डीज़ल में 15 पैसे बढ़े थे.


राजस्थान और मध्य प्रदेश में है सबसे ज़्यादा वैट


दिल्ली में पेट्रोल की क़ीमत 91.17 रुपये है जबकि डीज़ल 81.47 रुपये में बिक रहा है. मुंबई में पेट्रोल 97.57 रुपये और डीज़ल 88.60 रुपये में बिक रहा है. फरवरी में राजस्थान और मध्य प्रदेश में पेट्रोल की क़ीमत 100 रुपये से आगे निकल गई थी. इन दोनों राज्यों में पेट्रोल-डीज़ल पर वैट देश भर में सबसे ज़्यादा है.


कितना पैसा कहां जाता है


पेट्रोल की जो क़ीमत आम आदमी देता है, उसका 60% हिस्सा केंद्र और राज्यों के टैक्स के कारण होता है. जबकि डीज़ल की क़ीमत का 54% सरकारों को टैक्स के रूप में मिल जाता है. अगर एक व्यक्ति पेट्रोल के लिए 100 रुपये देता है तो इसमें से 33 रुपये केंद्र को जाता है, जबकि डीज़ल के केस में 32 रुपये केंद्र को जाता है.


जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं लाना चाहती सरकारें


पेट्रोल-डीज़ल के बढ़े हुए दामों पर राज्य चुप हैं क्योंकि सेंट्रल कलेक्शन का 42% उन्हीं के पास जाता है. इसके अलावा राज्य पेट्रोल डीज़ल पर अलग से सेस और सरचार्ज भी लगाते हैं. यही कारण है कि केंद्र और राज्य दोनों ही नहीं चाहते कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए. जबकि विशेषज्ञ लगातार कह रहे हैं कि पेट्रोल डीज़ल के दामों के उच्च स्तर से बचने का यही एक रास्ता है.


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