नई दिल्ली: देश की आम जनता इन दिनों पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों से परेशान है. पिछले 11 दिनों से लगातार पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में इज़ाफा हो रहा है. आज दिल्ली में पेट्रोल 90.19 रुपये प्रति लीटर हो गया, जबकि डीज़ल 80.60 रुपये प्रति लीटर हो गई है. बढ़ती कीमतों के बीच विपक्ष भी सरकार पर हमलावर है. हालांकि सरकार का कहना है कि ईंधन की कीमतों पर उसका कंट्रोल नहीं है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि दाम तो अंतर्राष्ट्रीय कीमतों की वजह से बढ़ रहे हैं. लेकिन जब आपको ये पता चलेगा कि एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकारें आपकी जेब से टैक्स के रूप में कितना पैसा वसूल रही हैं तो आप सकते में पड़ जाएंगे.
बात अगर राजधानी दिल्ली की ही करें तो यहां आम लोगों को एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकार को कुल मिलाकर करीब 150 फीसदी टैक्स देना पड़ रहा है. जिस पेट्रोल का बेस प्राइज़ 31.82 पैसे है, उसके लिए आम आदमी 89.29 पैसे भुगतान कर रहा है.
किसका कितना हिस्सा? (16 फरवरी के आंकड़ों के मुताबिक)
बेस प्राइज- ₹31.82
ढुलाई भाड़ा- ₹0.28
डीलर कमीशन- ₹3.68
डीलर- ₹32.10
केंद्र की एक्साइज ड्यूटी- ₹32.90
राज्य का VAT- ₹20.61
आपको मिलता है- 89.29
पेट्रोल की महंगाई तो प्रत्यक्ष पर, मगर डीजल की महंगाई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों है, क्योंकि डीजल के जरिए ही ट्रकों से माल ढुलाई होती है, इसलिए राशन से लेकर सब्जी तक सारे मार्केट को डीजल की महंगाई कंट्रोल करती है, तो ऐसे में चलिए डीजल का हाल भी जान लेते हैं.
किसका कितना हिस्सा ? (16 फरवरी के आंकड़ों के मुताबिक)
बेस प्राइज- ₹33.46
ढुलाई भाड़ा- ₹0.25
डीलर कमीशन- ₹2.51
डीलर- ₹33.71
केंद्र की एक्साइज ड्यूटी- ₹31.80
राज्य का VAT- ₹11.68
आपको मिलता है- 79.70
इन आंकड़ों से आपको साफ समझ आएगा कि दाम कितना है और सरकारें कितना टैक्स वसूल रही हैं. अगर आप डीलर से उसके कमीशन के बाद भी डीज़ल लेते हैं, तो आपको एक लीटर के लिए करीब 36 रुपये खर्च करने होंगे, लेकिन आपको देने पड़ रहे हैं करीब 80 रुपये. यानी एक लीटर पर आप करीब 44 रुपये टैक्स के रूप में सरकार को दे रहे हैं. मतलब सिर्फ राजधानी दिल्ली का आदमी एक लीटर डीजल पर लगभग 120 फीसदी टैक्स दे रहा है.
एक ये भी सवाल उठ रहा है कि जिस पेट्रोल-डीजल का देश के हर आम आदमी से वास्ता है, जो ट्रक ड्राइवर से लेकर गरीब छात्रों तक की जरूरत की चीज है. उस पर राज्य और केंद्र की सरकारें इतना टैक्स क्यों वसूल रही हैं ? क्या किसी और सामान पर इतना टैक्स लगता है ?
टैक्स के इन आंकड़ों पर डालिए नज़र
5 स्टार होटल पर 28% टैक्स लगता है तो पेट्रोल पर 150% टैक्स क्यों लग रहा है ?
मोबाइल खरीदने पर 18% टैक्स लगता है, तो डीजल पर 120% टैक्स क्यों लगाया जा रहा है ?
फ्रीज खरीदने पर 28% टैक्स देना होता है तो पेट्रोल पर 150% टैक्स क्यों देना पड़ रहा है ?
AC पर 28% टैक्स लगता है तो आम आदमी की जरूरत वाली चीज डीजल पर 120% टैक्स क्यों लग रहा है ?
घड़ी पर 18% टैक्स, साबुन पर 18% टैक्स तो बाइक के पेट्रोल पर 150% टैक्स क्यों ?
खाने के तेल पर 5% टैक्स लगता है तो गाड़ी चलाने के तेल डीजल पर 120% टैक्स क्यों ?
यहां तक कि लग्जरी कार पर कुल 65% टैक्स है तो पेट्रोल पर 150% और डीजल पर 120% टैक्स क्यों ?
जनता की इस परेशानी के बीच एक बात जान लीजिए कि मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल पर बेतहाशा टैक्स लगा रही है, कोरोना काल में जब कुछ बंद था तो 6 मई 2020 को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी. तब सबकुछ बंद था, सरकार की कमाई का यही जरिया है, लेकिन अब जब सबकुछ खुल गया है तो भी सरकार वो एक्साइज ड्यूटी वापस नहीं ले रही. और ऐसा नहीं इस मंहगाई में राज्य सरकारें दूध की धुली हैं, वो भी कंबल ओढ़ के घी पी रहे हैं, कोरोना काल में राज्य सरकारों ने भी अपना वैट खूब बढ़ाया था.
राजस्थान में पेट्रोल पर 8% और डीजल पर 6% VAT बढ़ाया गया.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने भी पेट्रोल पर 3% और डीजल पर 13% वैट बढ़ाया था.
यूपी में भी VAT के नाम पर पेट्रोल 2 रुपया और डीजल 1 रुपया महंगा किया गया था.
मध्य प्रदेश में तो राज्य सरकार ने 4.5 रुपया पेट्रोल और 3 रुपया डीजल पर एक्स्ट्रा VAT लगाया था.
ये सब कमाई के नाम पर तब किया गया, जब सब कुछ बंद था, मगर कमाई बढ़ गई तब भी राज्य सरकारों ने वैट नहीं घटाया. क्योंकि तेल का दाम बढ़ने से टैक्स की लेयरिंग का असली फायदा राज्य सरकारें उठा रही हैं. क्योंकि एक्साइज ड्यूटी ज्यादा है फिर वो फिक्स रहती है, मगर राज्य सरकारों का प्रतिशत में वैट बेस प्राइज के साथ बढ़ता रहा है और कमाई भी बढ़ती जाती है और इस कमाई में क्या बीजेपी, क्या कांग्रेस, क्या ही दूसरी पार्टियों की सरकारें कोई पीछे नहीं है.
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