Russia Ukraine crisis: यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई शुरू होने के साथ ही मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गए. इसके बावजूद घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल के दाम पिछले कुछ महीनों की तरह लगातार स्थिर बने हुए हैं.


हालांकि, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तीव्र बढ़ोतरी हो सकती है. पेट्रोलियम उत्पादों के लिए भारत के बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर होने से तेल आपूर्ति बाधित होने की आशंका है. कच्चे तेल और गैस के प्रमुख उत्पादक देश रूस के यूक्रेन विवाद में उलझने से आपूर्ति बाधित होने की आशंका की चलते अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड का भाव 99.38 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. हालांकि, इस वायदा भाव पर कुछ मुनाफावसूली होने से आखिर में यह 98 डॉलर प्रति बैरल से थोड़ा ऊपर बंद हुआ.


यूक्रेन-रूस की जंग का भारत पर कितना असर?
इससे पहले ब्रेंट क्रूड सितंबर 2014 में 99 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर गया था. रूस यूरोप में प्राकृतिक गैस का करीब एक-तिहाई उत्पादन करता है और वैश्विक तेल उत्पादन में उसकी हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत है. यूरोपीय देशों को जाने वाली गैस पाइपलाइन यूक्रेन से होकर ही गुजरती है. हालांकि, भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी बहुत कम है. साल 2021 में भारत ने रूस से प्रतिदिन 43,400 बैरल तेल का आयात किया था, जो उसके कुल तेल आयात का करीब एक प्रतिशत ही है. इसके अलावा रूस से भारत का कोयला आयात 18 लाख टन रहा जो कुल कोयला आयात का 1.3 प्रतिशत है. भारत रूसी गैस कंपनी गैजप्रॉम से 25 लाख टन एलएनजी भी खरीदता है.


इस तरह रूस से होने वाली आपूर्ति भारत के लिए अधिक चिंता का विषय नहीं है, लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतें मुश्किल जरूर बढ़ा सकती हैं. इसकी एक खास वजह यह भी है कि विधानसभा चुनावों के दौरान रिक़ॉर्ड 110 दिन से देश में ईंधन के दाम एक समान बने हुए हैं. सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को दैनिक आधार पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करने का अधिकार सरकार ने दिया हुआ है. ये कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम से प्रभावित होती हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में जारी विधानसभा चुनावों के दौरान पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर बने हुए हैं.


चुनाव के बाद बढ़ेंगे तेल के दाम?
पेट्रोलियम उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल की खुदरा बिक्री दरें 82-83 डॉलर प्रति बैरल के कच्चे तेल भाव के अनुरूप हैं. ऐसे में 10 मार्च को चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद पेट्रोल एवं डीजल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर पड़ना लाजमी है. अक्टूबर, 2021 के अंतिम सप्ताह में ब्रेंट क्रूड के भाव 86 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर होने के समय दिल्ली में पेट्रोल 110 रुपये और डीजल 98 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा था. हालांकि, नवंबर की शुरुआत में उत्पाद शुल्क में कटौती और राज्य सरकार के स्तर पर वैट में राहत देने के बाद पेट्रोल 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर के भाव पर आ गया.


नवंबर की शुरुआत से ही ब्रेंट क्रूड के भाव में नरमी आनी शुरू हो गई थी और दिसंबर में यह 68.87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया था. लेकिन नए साल की शुरुआत से ही इसके दाम बढ़ने लगे थे और फरवरी में ही यह 12 प्रतिशत से अधिक चढ़ चुका है.


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