Petrol-Diesel Price: केंद्र सरकार ने तीन नवंबर को पेट्रोल और डीजल दोनों ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में कमी की घोषणा की. इसके बाद 4 नवंबर से पेट्रोल पर 5 रुपए और डीजल पर 10 रुपए एक्साइज ड्यूटी कम हो गई. लेकिन ऊर्जा विशेषज्ञ का मानना है कि ईंधन अभी भले ही सस्ता हो गया हो, लेकिन आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल के दाम फिर से बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक प्रमुख वजह कोरोना महामारी भी है.


क्यों बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?


ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ‘’आज के समय में देश अपनी जरूरत का करीब 86 फीसदी तेल आयात करता है. ऐसे में तेल के दाम किसी सरकार के हाथ में नहीं हैं. पेट्रोल और डीजल दोनों ही नियंत्रण मुक्त वस्तुएं हैं. जब भी मांग और आपूर्ति में असंतुलन होता है तो कीमतें बढ़ती हैं.’’


तनेजा ने बताया, ‘’दूसरा कारण तेल क्षेत्र में निवेश की कमी है, क्योंकि सरकारें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय/हरित ऊर्जा क्षेत्रों को बढ़ावा दे रही हैं. यही वजह है कि आने वाले महीनों में कच्चा तेल और महंगा हो जाएगा. साल 2023 में कच्चे तेल की कीमत 100 रुपए तक बढ़ सकती हैं.’’ तनेजा का मानना है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि ज्यादा राहत मिल सके और ज्यादा पारदर्शिता भी आए.


राजकोष पर पड़ेगा 45 हजार करोड़ का असर पड़ेगा- रिपोर्ट


डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती से राजकोष पर 45,000 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा और इससे केंद्र का राजकोषीय घाटा 0.3 प्रतिशत बढ़ जाएगा. जपानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा के अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट में कहा कि कुल खपत के हिसाब से इस आश्चर्यजनक कदम से पूरे वित्त वर्ष के लिए राजकोष पर एक लाख करोड़ रुपए का असर पड़ेगा, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.45 प्रतिशत होगा. चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों के लिए, राजकोष पर 45,000 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ जाएगा.


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