मुंबई में पीएफ घोटाले का भांडाफोड़, जानें कैसे हुआ खुलासा और कौन है मास्टरमाइंड?
पीएफ घोटाले का मामला मुंबई के कांदिवली दफ्तर से जुड़ा हुआ है. यहा काम करने वाले कुछ कर्मचारियों ने मिलकर 21 करोड़ रुपए से अधिक की रकम पीएफ पूल से चुरा लिए.
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पिछले करीब डेढ़ साल से देश जब कोरोना की महामारी से लड़ रहा था तब कुछ लोग आपदा में अवसर तलाशकर करोड़ो रूपये की हेरा फेरी कर रहे थे. चौकाने वाला मामला दुनिया के सबसे बड़े सोशल सिक्योरिटी संस्था यानी EPFO दफ्तर से जुड़ा है. घोटाले का मामला मुंबई के कांदिवली PF दफ्तर से जुड़ा है. यहा काम करने वाले कुछ कर्मचारियों ने 21 करोड़ रुपए से अधिक की रकम PF पूल से चुरा लिए. PF दफ्तर की इंटरनल जांच में इस फ्रॉड और घोटाले का खुलासा हुआ.
कैसे हुआ घोटाला?
मुंबई के कांदिवली यूनिट 2 के PF दफ्तर में काम करने वाले क्लर्क और कुछ अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से घोटाला हुआ है. PF दफ्तर की अंदरूनी जांच में इस फ्रॉड और घोटाले का खुलासा हुआ. मुख्य संदिग्ध 37 साल का चंदन कुमार सिन्हा है जो इसी EPFO दफ्तर के चारकोप ब्रांच (यूनिट 2) में क्लर्क है. संदेह है कि इसने अपने सहकर्मी क्लर्क अभिजीत ओनेकर सहित कुछ अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से करोड़ो रूपये का घोटाला किया. इनकी मॉड्स कुछ इस तरह की होती थी कि यह मजदूर, जरूरतमंद, रिक्सा चालक लोगो के बैंक एकाउंट और आधार डिटेल को हासिल करते थे. इनके PF खाते खोले जाते थे और इनके PF खाते में PF पूल से 5 लाख रुपए से कम की रकम ट्रांसफर की जाती थी. जांच में पता चला की, चंदन और अभिजीत ने 817 बैंक एकाउंट और आधार कार्ड की मदद से करोड़ो रूपये मजदूरों के PF खाते में भेजे. जिन मजदूरों के PF एकाउंट खोले गए उन्हें उन कंपनियों का कर्मचारी बताया गया जो साल 2006 में बंद हो चुकी हैं. PF खातों से पैसे मजदूरों के बैंक एकाउंट में भेजे गए. बैंक एकाउंट से पैसे निकाला जाता और जिस मजदूर के एकाउंट से रकम निकाला जाता उन्हें 5000-10000 रुपए कमीशन दिया जाता था.
क्यो नही पकड़ी गई चोरी ?
इस घोटाले में संदेह में आए कर्मचारियों को ऑडिट की प्रक्रिया की जानकारी थी. इन्होंने खामियां सामने नही आने दी. बंद हुए कंपनी का EPFO डबल एंट्री नही करती है. कोरोना काल मे अधिकतर लोगों ने PF के पैसे निकाले इस दौरान सरकार द्वारा नियमो में ढील दी गई जिससे लोग आसानी से PF का पैसा निकाल सके. कोरोना संकटकाल के दौरान वरिष्ठ अधिकारी घर पर थे. वरिष्ठ अधिकारियों ने क्लर्क को अपना पासवर्ड दिया और बाद में पासवर्ड बदला नही. इसका फायदा उठाकर लाखो रुपए PF पूल से मजदूरों, फर्जी लाभार्थियों के बैंक एकाउंट में भेजे गए. चुकी यह रकम 5 लाख से कम होती थी इसलिए यह दुहरे जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के सामने नही आती थी . अगर ट्रासंफर की गई रकम 5 लाख से अधिक हो तो वरिष्ठ अधिकरी इसे देखते हैं .
कौन कौन है मास्टरमाइंड ?
PF दफ्तर के अंदरूनी जांच में जो लोग संदेह के घेरे में आए उसमें 5 लोगो को ससपेंड किया गया है. संदेह के घेरे में 37 साल का चंदन कुमार सिन्हा है. चंदन, बिहार के गया का रहने वाला हैं . मगध यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी की पढ़ाई की है. इसके पास महंगी कार और हार्ली डेविडसन बाइक भी इसके करीबियों को खटक रही थी. चंदन का सहकर्मी क्लर्क अभिजीत ओनेकर भी निलंबित है.
आगे क्या होगा?
अंदरूनी जांच के बाद आपराधिक मामला दर्ज कराया जाएगा. जांच CBI को देने की मांग की जाएगी. कांदिवली चारकोप यूनिट 2 के PF दफ्तर में 2 सालों में जिन अकॉउंट से पैसे निकाले गए उसका ऑडिट होगा. 12 लाख एकाउंट की ऑडिट होगी. अन्य EPFO दफ्तर में भी इंटरनल ऑडिट और PF पैसे ट्रासंफर देने की प्रक्रिया के लिए नियमों को पालने के निर्देश दिए गए है.
EPFO वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, जांच पूरी होने के बाद CBI को केस दिया जाएगा. निजी PF खातों को कोई खतरा नही है. किसी व्यक्ति, कंपनी का कोई नुकसान नही बल्कि PF दफ्तर संस्था का नुकसान है. जांच में पाया गया कि 90% पैसे निकाले जा चुके हैं.
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