Gyanvapi Masjid मामले पर PFI की एंट्री, कोर्ट के फैसले को बताया अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला
ज्ञानवापी मामले पर कट्टरवादी संगठन PFI की भी एंट्री हो गई है. PFI ने वाराणसी कोर्ट के फैसले को अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया है. AIMIM प्रमुख ओवैसी ने भी फैसले को लेकर नाराजगी जताई है.
Gyanvapi Masjid Verdict: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी के जिला अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया. ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी पोषणीयता मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा, "इस मुकदमे की सुनवाई होगी." जहां कोर्ट के फैसले से लोग खुश हैं तो वहीं ये फैसला पीएफआई को रास नहीं आया है.
फैसले का विरोध करते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ओएमए सलाम ने कहा है कि पॉपुलर फ्रंट सदियों पुरानी मस्जिद को आक्रामकता से बचाने के लिए मस्जिद समिति के संघर्षों को अपना समर्थन देता है. उन्होंने कहा कि वे उच्च न्यायालय में आदेश को चुनौती देने के अपने फैसले के साथ खड़े हैं
पीएफआई ने कोर्ट के फैसले की आलोचना की
कोर्ट के फैसले की आड़ में पीएफआई भारत में अशांति फैलाने वाले अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में फिर से जुट गया है. पीएफआई ने फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि अदालत के फैसले से अल्पसंख्यक अधिकारों पर फासीवादी हमलों को और बढ़ावा मिलेगा और ये निर्णय पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की उपेक्षा करता है
अगली सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख तय
बता दें कि मुस्लिम पक्ष की दलील थी कि ज्ञानवापी पर 1991 का वर्शिप एक्ट लागू होता है, इसलिए ज्ञानवापी के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. हालांकि कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया. वहीं कोर्ट के फैसले के बाद साफ हो गया है कि अब हिंदू पक्ष के पूजा के अधिकार मांगने के मुकदमे पर सुनवाई होगी. अगली सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख तय हुई है.अदालत द्वारा मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज किए जाने के बाद मुस्लिम पक्ष अब हाईकोर्ट जाएगा.
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